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खट्टे-मीठे अनुभव लिए संप्रग-2 कल मनाएगा अपनी पहली सालगिरह

लगातार दूसरी बार सत्ता में आया संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अपने उस दूसरे कार्यकाल की पहली वषर्गांठ शनिवार को मनाने जा रहा है जिसमें उसे खट्टे-मीठे दोनों अनुभवों से गुज़रना पड़ा है.

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लगातार दूसरी बार सत्ता में आया संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अपने उस दूसरे कार्यकाल की पहली वषर्गांठ शनिवार को मनाने जा रहा है जिसमें उसे खट्टे-मीठे दोनों अनुभवों से गुज़रना पड़ा है.

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इस अवसर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी सरकार के काम काज के बारे में ‘जनता के नाम रिपोर्ट कार्ड’ पेश करेंगे. संप्रग-2 सरकार को अपने पहले साल के आखिर में माओवादी हिंसा के भयावह रूप का सामना करना पड़ा. माओवादियों ने छह सप्ताह में किए विभिन्न हमलों में 110 सीआरपीएफ कर्मियों और आम नागरिकों की जान ली.

बेकाबू मंहगाई से भी संप्रग-2 को जूझना पड़ रहा है और उसे नियंत्रित करने में उसे कठिनाई हो रही है. दूसरी ओर कांग्रेस नीत वाला यह सत्ताधारी गठबंधन काफी समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को राज्यसभा से पारित कराने, और शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने के लिए अपनी पीठ थपथपा रहा है. विपक्ष ने हालांकि, संप्रग-2 के पहले साल को ‘विनाशकारी’ बताया है. {mospagebreak}

महिला आरक्षण विधेयक का राज्यसभा में पारित कराने का श्रेय संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया जा रहा है, लेकिन लोग यह सवाल भी कर रहे हैं कि यादव त्रिमूर्ति और बसपा प्रमुख मायावती के विरोध के चलते सरकार इसे लोकसभा से कैसे पारित करवा पाएगी. बहुमत का जादुई आंकड़ा नहीं होने के बावजूद संप्रग सरकार विपक्ष के कटौती प्रस्ताव की चुनौती को मात देने में सफल रही.

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संप्रग अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल की बड़ी उपलब्धि यह भी बता रहा है कि जाने माने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह के कारण वैश्विक मंदी के बावजूद भारत उच्च विकास दर बनाए रखने में सफल रहा. दूसरी ओर विपक्ष ने सत्तारूढ़ गठबंधन के पहले साल को ‘वायदों को तोड़ने’ और सत्ता का दुरूपयोग का साल बताया है. भाजपा का आरोप है कि सरकार ने सत्ता में बने रहने के लिए असुरक्षित सहयोगियों को सीबीआई का भय दिखा कर अपने पक्ष में रहने को मजबूर किया है. {mospagebreak}

भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इसके अलावा कांग्रेस नीत गठबंधन के शासन में सामरिक और विदेश नीति के क्षेत्र में भारी भूल की गई’, आंतरिक सुरक्षा और मंहगाई को काबू नहीं किया जा सका. मुख्य विपक्षी दल के अन्य वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा कि आम तौर पर किसी सरकार का पहला साल आरामदायक होता है, लेकिन संप्रग को पहले ही साल में बहुमत बनाए रखने के लिए जूझना पड़ा और सत्ता में बने रहने के लिए उसे बसपा, सपा तथा राजद जैसे दलों के प्रमुखों को सीबीआई का भय दिखाना पड़ा.

विपक्ष ने कहा कि तेलंगाना मुद्दे पर सरकार ने ढुलमुल रुख अपना कर आन्ध्रप्रदेश की जनता को विभाजित कर उसे अशांत बना दिया है. कांग्रेस ने दूसरी ओर दावा किया कि उसके नेतृत्व वाले गठबंधन का पहला साल सुगम रहा. इसके प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘यह साल उपलब्धियों और वायदों को पूरा करने का साल रहा. यह संतोष के साथ इस इरादे को मजबूत करने का साल रहा है कि अभी हमें और आगे जाना है’. {mospagebreak}

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सिंघवी ने विशिष्ट पहचान पत्र परियोजना को शुरू किया जाना, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का विस्तार करना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून बनाना, सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की व्यवस्था करना, कम ब्याज पर छोटे किसानों को ऋण दिलाना और महिला आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाना आदि को सरकार की उपलब्धियों में गिनाया.

उन्होंने कहा कि इनमें से कई बाते लागू हो चुकी हैं और कुछ होने की प्रक्रिया में हैं. सिंघवी ने कहा ये वे मुद्दे हैं जिससे समाज का स्वरूप ही बदल जाएगा. इस सरकार को आईपीएल विवाद में शशि थरूर को बाहर का रास्ता दिखाने को बाध्य होना पड़ा. यही नहीं टू जी स्पैक्ट्रम निलामी में संचार मंत्री और द्रमुक नेता ए राजा की भूमिका से सरकार की छवि प्रभावित हो रही है. भाजपा ने कहा कि वह सरकार के प्रदर्शन पर उसे दस में से तीन से अधिक नंबर नहीं दे सकती है.

संप्रग के घटक दल तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि घटक दलों में बेहतर समन्वय से सत्तारूढ़ गठबंधन की शक्ति और बढ़ेगी. सरकार में शामिल अन्य महत्वपूर्ण दल एनसीपी के महासचिव डी पी त्रिपाठी ने कहा, ‘संप्रग अच्छा है लेकिन उसे और बेहतर बनना है’. एक घटक दल के नेता ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव में 206 सीट पाने के बाद कांग्रेस पहले से कम लोकतांत्रिक हो गई है’.

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