कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने गुरुवार शाम राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया. मीटिंग में चर्चा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मीरा कुमार के नाम की घोषणा की. इसके साथ ही राष्ट्रपति चुनाव दलित बनाम दलित हो गया.
बीजेपी नीत एनडीए ने 20 जून रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया था. रामनाथ कोविंद दलित जाति से आते हैं. ऐसे में उनके नाम को बीजेपी के दलित कार्ड के रूप में देखा जा रहा था. रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान करने से पहले बीजेपी ने कांग्रेस समेत दूसरे विरोधी दलों से राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन की मांग की थी. जिसका विपक्षी दलों ने ये कहते हुए विरोध किया था कि उन्हें बीजेपी ने उम्मीदवार का नाम नहीं बताया. लेकिन जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान किया तो तमाम दल हैरान रह गए.
रामनाथ कोविंद कोरी जाति के दलित हैं और उत्तर प्रदेश के कानपुर से आते हैं. इसलिए कोविंद का नाम विपक्ष के लिए एक झटके जैसा था. बीजेपी को अंदाजा था कि दलित उम्मीदवार का विरोध करना कांग्रेस और दूसरे दलों के लिए मुश्किल होगा. यहां तक कि एनडीए के सहयोगी दल भी अहमति नहीं जता पाएंगे और शांति से कोविंद के नाम को स्वीकार कर लेंगे.
मगर, दूसरी तरफ 2019 में अपनी एकजुटता दिखाने के लिए विपक्ष को उम्मीदवार उतारना मजबूरी बन गई थी. ऐसे में बीजेपी के दलित कार्ड का जवाब दलित नाम से ही देना था.
यही वजह है कि गुरुवार की मीटिंग के बाद विपक्ष ने अपने उम्मीदवार के तौर पर मीरा कुमार के नाम का ऐलान किया. मीरा कुमार भी दलित जाति से आती हैं और दिवंगत दलित नेता बाबू जगजीवन राम की बेटी हैं. मीरा कुमार लोकसभा स्पीकर भी रह चुकी हैं. हालांकि, मीरा कुमार के नाम को लेकर तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने अहमति जाहिर की थी. यही वजह रही कि कांग्रेस और दूसरे दलों में उम्मीदवार के नाम पर मैराथन मंथन चला और आखिरकार रामनाथ कोविंद के नामांकन कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले उन्होंने मीरा कुमार के नाम की घोषणा कर दी.
रामनाथ कोविंद के नाम के बाद कांग्रेसी खेमी की तरफ से दलित उम्मीदवार लाना एक मजबूरी बन गई थी. एक तरफ जहां जेडीयू ने को अपना समर्थन देकर कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था. वहीं आम आदमी पार्टी ने यूपीए का दलित उम्मीदवार होने पर समर्थन का दावा किया था. बिहार का राज्यपाल होना भी रामनाथ कोविंद को नीतीश कुमार का समर्थन दिला गया. ऐसे में विपक्ष ने मीरा कुमार के रूप में बिहार की बेटी को राष्ट्रपित पद के उम्मीदवार के रूप में सामने कर दिया है. इस स्तिथि में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल एक बार फिर जेडीयू से समर्थन की एप्रोच कर सकते हैं और राष्ट्रपति चुनाव में महागठबंधन की एकजुटता को साबित किया जा सकता है.
साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती भी कह चुकी हैं कि यूपीए अगर बेहतर दलित उम्मीदवार पेश करता है तो वो समर्थन देंगी. इस सबके अलावा कांग्रेस नहीं चाहेगी कि बीजेपी दलित वोट में सेंध लगाए. क्योंकि रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाने पर न सिर्फ यूपी के चुनावी गणित में फर्क पड़ेगा, बल्कि गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव में भी कोविंद के जरिए बीजेपी दलित वोट को कैश करने की कोशिश करेगी. ऐसे में भले ही संख्या बल के आधार पर यूपीए का उम्मीदवार भले ही राष्ट्रपति न बन सके, लेकिन दलित के सामने महिला दलित उम्मीदवार देकर विपक्षी खेमे ने बीजेपी के फ्री हैंड पर जरूर ब्रेक लगाने की कोशिश की है.