सीबीआई चीफ रंजीत सिन्हा के एक बयान ने सनसनी फैला दी है. उन्होंने कहा कि अगर नरेन्द्र मोदी के विश्वस्त अमित शाह को इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में फंसा दिया जाता तो यूपीए सरकार बहुत खुश होती.
एक अंग्रेजी अखबार ने यह खबर दी है. रंजीत सिन्हा ने यह बात अपनी जांच एजेंसी के राजनीतिक मामलों में निष्पक्ष रवैये की पुष्टि करने के लिए कही. उन्होंने अखबार से कहा, ‘इस मामले में राजनीतिक उम्मीदें थीं. अगर हम अमित शाह को चार्जशीट कर देते तो यूपीए सरकार बहुत खुश होती. लेकिन हम प्रमाणों पर गए और पाया कि शाह के खिलाफ कोई ऐसा प्रमाण नहीं है, जिससे उन पर मुकदमा चलाया जा सके.’
इसके एक दिन पहले ही सीबीआई ने चार्जशीट करके इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक राजिंदर कुमार और तीन अन्य पर इशरत जहां के फर्जी एनकाउंटर में शामिल होने का आरोप लगाया. मुंबई की 19 वर्षीय छात्रा इशरत जहां और तीन अन्य की 2004 में गुजरात में हुए एक एनकाउंटर में मौत हो गई थी. इस मामले को शुरू से ही फर्जी बताया जा रहा था.
यह पूछे जाने पर कि अमित शाह पर आरोप क्यों नहीं लगाया गया जैसा कि कुछ गवाह कह रहे हैं, तो सीबीआई चीफ ने कहा कि इस मामले में उन पर कुछ संदेह तो है लेकिन कोई प्रमाण नहीं है. शाह को संदेह का लाभ देने का मतलब यह है कि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष है. उनसे पूछताछ भी की जा चुकी है.
रंजीत सिन्हा की इस स्वाकरोक्ति से राजनीति में काफी उबाल आ गया है. बीजेपी शुरू से इस मामले को एक राजनीतिक साजिश बता रही है. पार्टी ने सीबीआई पर भी आरोप लगाया है कि वह नरेन्द्र मोदी को फंसाने की कोशिश कर रही है.
रंजीत सिन्हा ने अखबार को बताया कि हमारी पूरी टीम ने कहा कि राजिंदर कुमार पर मुकदमा चलाने के लिए सरकारी आदेश की जरूरत नहीं है. गृह मंत्रालय अगर उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं देगा तो ठीक है. हम अदालत के प्रति जवाबदेह हैं न कि गृह मंत्रालय के. उन्होंने कहा कि इस मामले में सारी गलती आईबी अफसरों की है. उन्होंने गलत तरीके से इस मामले को हैंडल किया.
यह कहे जाने पर कि चार लोगों में से दो पाकिस्तानी आतंकवादी थे, उन्होंने कहा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. कानून के मुताबिक फर्जी मुठभेड़ गलत है. उन्होंने कहा कि आईबी अफसरों को चार्जशीट करना सही है क्योंकि यह मुठभेड़ राज्य पुलिस और आईबी दोनों के संयुक्त ऑपरेशन का नतीजा था.