हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए अध्यादेश से संबंधित प्रस्ताव पर राज्य कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. ऐसा करने वाला यह चौथा राज्य बन गया है. हालांकि इसका क्राइटेरिया क्या होगा, इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा. इससे पहले गुजरात, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस कानून को मंजूरी दी जा चुकी है.
सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में 10% आरक्षण देने के फैसले पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 जनवरी को मुहर लगाई थी. इसके बाद 8 जनवरी को लोकसभा में संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया जहां लंबी बहस के बाद यह विधेयक लोकसभा में पास हो गया.
इसके अगले दिन यानी 9 जनवरी को राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक को पेश किया गया और यहां भी यह विधेयक पास हो गया. संसद के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा गया जहां से भी इसे मंजूरी मिल गई.
बता दें कि यह 10% आरक्षण अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को मिलने वाले 49.5 फीसदी आरक्षण से अलग होगा. आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले इस अधिनियम के तहत 8 लाख रुपये तक की वार्षिक आमदनी वालों को इस आरक्षण का लाभ प्राप्त होगा.
इसके साथ ही इस आरक्षण का लाभ उन्हीं गरीब सवर्णों को मिलेगा जिनके पास 5 एकड़ से ज्यादा कृषि योग्य भूमि नहीं होगी. साथ ही इच्छुक व्यक्ति या उसके परिवार के पास 1 हजार स्क्वायर फीट से बड़ा घर नहीं होना चाहिए.
आरक्षण के खिलाफ HC जा चुकी है DMK
केंद्र सरकार के गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के निर्णय के खिलाफ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) मद्रास हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर चुकी है. याचिका में डीएमके ने इस आरक्षण व्यवस्था को संविधान एससी-एसटी के खिलाफ बताया है. यह याचिका डीएमके पार्टी संगठन के सचिव आरएस भारती द्वारा फाइल की गई है.
तेजस्वी ने बताया था साजिश
वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस व्यवस्था को लागू करने से इनकार कर चुकी हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए आए संविधान संशोधन विधेयक का खुले तौर पर विरोध करते हुए कहा था कि यह आरक्षण दलित, पिछड़ों और आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण को खत्म करने की साजिश है.