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'महिला आरक्षण पर 5 बार अमित शाह से समय मांगा, 5 मिनट भी नहीं मिले'

बीजू जनता दल (बीजेडी) के राज्यसभा सदस्य प्रसन्न आचार्य ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि महिला आरक्षण को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने के लिए पांच बार समय मांगा, लेकिन उन्होंने 5 मिनट का भी समय नहीं दिया. 

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बीजेडी सांसद प्रसन्न आचार्य
बीजेडी सांसद प्रसन्न आचार्य

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सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिलने के बाद बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया. उच्च सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजू जनता दल (बीजेडी) के राज्यसभा सदस्य प्रसन्न आचार्य ने बिल का समर्थन करते हुए कई सवाल खड़े किए. इस दौरान उन्होंने कहा कि मौजूदा मोदी सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है. महिला आरक्षण को लेकर उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने के लिए 5 बार समय मांगा, लेकिन शाह ने 5 मिनट का भी समय नहीं दिया.

प्रसन्न आचार्य ने कहा, 'हमारे ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक महिला आरक्षण को लेकर मुहिम छेड़े हुए हैं. इस संबंध में नवीन पटनायक ने सभी राजनीतिक पार्टियों को पत्र लिखा है कि विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को आरक्षण दिया जाए. महिला आरक्षण के लिए सीएम के पत्र को देने के लिए मैंने बीजेपी अध्यक्ष से 5 बार समय मांगा, लेकिन उन्होंने 5 मिनट नहीं दिया. उन्होंने क्यों समय नहीं दिया, इसका कारण मैं नहीं समझता.'

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बीजेडी सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि सरकार को आखिरी दिन में आईसीयू की जरूरत पड़ गई है और यह बीमारू सरकार हो गई है जिसके लिए यह बिल ऑक्सीजन, अस्पताल और एंबुलेंस का काम करने वाला है. उन्होंने कहा कि तीन तलाक बिल लाने पर सरकार को कोर्ट के फैसले की याद आई लेकिन सबरीमाला में क्या हो गया.

आचार्य ने कहा कि बिल को लाने में हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए, कोई इसका विरोध नहीं कर रहा है. हमारी पार्टी इस बिल का पुरजोर समर्थन करती है. उन्होंने कहा कि बिल देर से लाए हैं लेकिन सही लाए हैं. बिल में कुछ खामियां है और इसे कोर्ट से चुनौती मिल सकती है, फिर भी यह बिल का समर्थन करते हैं.

हालांकि उन्होंने कहा कि जब तक मानसिकता सही नहीं होगी, कितना भी आरक्षण दे दो वह सफल नहीं होगा और देश तरक्की नहीं कर सकता. बीजेडी नेता ने कहा कि आपकी इस नीति पर कोई विरोध नहीं है, लेकिन आपकी नीयत पर शक जरूर है. क्योंकि आपने किसी से बात नहीं की और न ही कोई एजेंडा लाए. बस हड़बड़ी में बिल लेकर आ गए निश्चित रूप से चुनाव में फायदा लेने के लिए इस बिल को लाया गया है.

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