विपक्षी भाजपा और वाम दलों ने मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की लालगढ़ रैली और माओवादियों के साथ उनकी कथित नजदीकियों को लेकर सरकार को घेरते हुए इस मामले में प्रधानमंत्री से जवाब मांगा.
राज्यसभा में इस मुद्दे पर भाजपा के सदस्यों के विरोध के कारण प्रश्नकाल नहीं चल सका. प्रश्नकाल के बाद इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया से असंतोष जताते हुए भाजपा, शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल, बीजद और वाम दलों के सदस्यों ने वाकआउट किया.
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वयं यह कह चुके हैं कि माओवाद देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है. उन्होंने कहा कि ऐसे में अगर सरकार की एक मंत्री माओवादियों का कथित समर्थन करती हैं तो यह सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत का उल्लंघन है.
उन्होंने कहा कि शीर्ष माओवादी नेता किशनजी और मनोज महतो ने इस रैली को सफल बनाने का आहवान किया था. इसके अलावा ज्ञानेश्वरी ट्रेन दुर्घटना के लिए कथित रूप से जिम्मेदार आशीष महतो कई शीर्ष भूमिगत नेताओं के साथ सोमवार की रैली में मौजूद था. जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कश्मीर, राष्ट्रमंडल खेल सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप्पी साध रखी है. {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि कई बार सुविधा के कारण चुप्पी साधी जाती है.’ उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री से स्थिति स्पष्ट करने को कहा. जेटली जब इस मुद्दे पर बोल रहे थे उसी दौरान तृणमूल नेता तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कई बार उन्हें बीच में टोका. इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सरकार इस मामले में तथ्यों पर गौर करेगी और सत्य का पता लगाएगी.
चव्हाण का जवाब सुनने के बाद भाजपा शिवसेना, बीजद और अकाली दल के सदस्य सदन से बाहर चले गए. इसके कुछ ही समय बाद, वाम दलों के सदस्यों ने भी सरकार के रुख से विरोध जताते हुए सदन से वाकआउट कर दिया. उधर लोकसभा में भाजपा के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए कहा, प्रधानमंत्री इस मामले में खामोशी क्यों अख्तियार किए हुए हैं. {mospagebreak}
ग्रीन हंट बंद किए जाने संबंधी ममता के रैली में दिए गए बयान के बाद वह स्पष्ट करें कि केन्द्र क्या माओवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को जारी रखेगा या बंद करेगा.’ उन्होंने ममता द्वारा मुठभेड़ में माओवादी नेता आजाद के मारे जाने को हत्या’ बताने को शर्मनाक’’ बताते हुए कहा कि क्या केन्द्र इस मामले की सीबीआई से जांच कराएगा. माकपा के बंसगोपाल चौधरी ने भी तृणमूल कांग्रेस पर माओवादियों के साथ मिलने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि ममता की लालगढ़ रैली में नक्सलियों की उपस्थिति के बारे में केन्द्र को स्पष्टीकरण देना चाहिए. विपक्ष के इस आक्रामक रुख से बचाव की मुद्रा में आए सदन के नेता प्रणव मुखर्जी ने कहा कि वह रेल मंत्री से स्थिति की जानकारी लेने के बाद ही इस बारे में कुछ कह पाएंगे.
उधर तृणमूल के सुदीप बंदोपाध्याय ने ममता की रैली का पुरजोर बचाव करते हुए कहा कि वह वहां सौहार्द और शांति का संदेश लेकर गई थीं. उन्होंने कहा कि ममता ने वहां यह कहने की हिम्मत दिखाई कि वह हिंसा और हत्या के पूर्णत: खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि नक्सली समस्या के समाधान के लिए सभी राजनीतिक दलों को ममता के इस साहस का समर्थन करना चाहिए.