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महंगाई पर संसद में हंगामा, दोनो सदन कल तक के लिए स्थगित

महंगाई के मुद्दे पर हंगामे के कारण बुधवार को लगातार दूसरे दिन राज्यसभा नहीं चली और कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी. वहीं लोकसभा को भी गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.

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महंगाई के मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने के विपक्ष के भारी दबाव के बीच सरकार ने लोकसभा में स्पष्ट कर दिया कि वह मत विभाजन के प्रावधान वाले नियमों के तहत इस पर चर्चा कराने के पक्ष में नहीं है.

सदन में इस विषय पर दो दिन के गतिरोध के बाद अध्यक्ष मीरा कुमार ने कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देने वाले सदस्यों को उनकी बात रखने का अवसर दिया.

विपक्ष और सत्तापक्ष की बात सुनने के बाद अध्यक्ष ने कहा कि वह इस विषय पर भोजनावकाश के बाद अपनी व्यवस्था देंगी.

कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने के विपक्षी सदस्यों के तर्क सुनने के बाद सदन के नेता प्रणव मुखर्जी ने 1950 में अस्थायी संसद से लेकर हाल तक के लोकसभा अध्यक्षों द्वारा कार्यस्थगन के मामले में दी गई व्यवस्थाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जब तक सरकार के कर्तव्य निर्वहन में विफलता का मामला या वित्तीय अनुशासनहीनता का मामला नहीं होता, इस प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने की आवश्यक्ता नहीं है.

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उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ाना किसी भी सरकार के लिए काफी कठिन फैसला होता है और यह अत्यधिक मजबूरी में किया जाता है.

उन्होंने कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत महंगाई पर चर्चा कराने से असहमति जताते हुए कहा कि सरकार मत विभाजन वाले नियमों के अलावा किसी भी अन्य नियम के तहत चर्चा कराने को तैयार है.

बुधवार को कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत महंगाई पर चर्चा कराने का दबाव बनाया जिस पर अध्यक्ष ने इस विषय पर नोटिस देने वाले सदस्यों को इस बारे में उनकी बात रखने का अवसर दिया कि वे ऐसा क्यों चाहते हैं. विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा ‘हम कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा इसलिए करना चर्चा कराना चाहते हैं क्योंकि हम महंगाई नहीं रोक पाने में सरकार की असफलता के लिए उसकी निंदा करना चाहते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य सरकार गिराना नहीं है. नियम 193 के तहत महंगाई के विषय पर कई बार चर्चा हो चुकी है लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. यह मुद्दा न केवल तात्कालीक महत्व का है क्योंकि हाल ही में रसोई गैस और केरोसिन की कीमतों में वृद्धि से आम जानता परेशान है.’

{mospagebreak}सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने कहा, ‘महंगाई से देश की 85 से 90 प्रतिशत जनता त्रस्त है. गोदामों में अनाज सड़ रहा है जबकि लोग भूख से मर रहे है. लेकिन अफसोस की बात है कि सदन में कई बार चर्चा होने के बावजूद महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है.’ उन्होंने कहा ‘हम जानना चाहते हैं कि सरकार क्या प्रबंध कर रही है. अगर हमारे पास अन्न की कमी नहीं है तो महंगाई क्यों है, लोग भूख से क्यों मर रहे हैं. इसलिए हम कार्यस्थगन प्रस्ताव के माध्यम से महंगाई पर चर्चा कराना चाहते हैं.’

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जद यू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, ‘हम महंगाई जैसे अहम विषय पर कार्य स्थगित कर इसलिए चर्चा करना चाहते हैं क्योंकि लोगों की थाली से नमक, रोटी, चटनी भी घटती जा रही है.’ उन्होंने बजट सत्र में कटौती प्रस्ताव के समय राजद, सपा और बसपा द्वारा परोक्ष रूप से सरकार का साथ दिये जाने पर इन दलों का नाम लिये बिना कटाक्ष किया ‘आपके हाथ तो बहुत लम्बे हैं, आप सर्वशक्तिमान हैं और पिछले सत्र में कटौती प्रस्ताव के दौरान आपने इसे दिखा भी दिया. फिर आप चर्चा से क्यों बचना चाहते हैं.’

जद यू नेता ने कहा, ‘हम तो खुद ही चुनाव नहीं चाहते हैं, हमारा इरादा सरकार गिराने का नहीं है बल्कि हम इस प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा के जरिये सोयी हुई सरकार को जगाना चाहते हैं.’ राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने इन आरोपों पर सख्त नाराजगी व्यक्त की कि सरकार द्वारा सीबीआई का डर दिखाये जाने से उनके और मुलायम सिंह के दल ने कटौती प्रस्ताव के समय विपक्ष का साथ नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि कोई दल हम पर यह दबाव नहीं बना सकता कि हम अपनी रणनीति कैसी बनाये. इस बारे में हम खुद फैसला करेंगे. उन्होंने हालांकि कहा कि आज भूलवश कार्यस्थगन प्रस्ताव की नोटिस दे पाने के बावजूद उनकी पार्टी इसके तहत चर्चा कराये जाने के पक्ष में है.

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माकपा के बासुदेव आचार्य ने कहा, ‘साल 1973, 1986, 1994 और 2000 में लोकसभा अध्यक्षों ने महंगाई के विषय पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा की अनुमति प्रदान की. ऐसा राजग कार्यकाल में भी हुआ जब कांग्रेस विपक्ष में थी. तो अब उसे इस पर एतराज क्यों है.’ उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस विषय पर कार्यस्थगन के तहत चर्चा करके सरकार की विफलता के लिए निंदा करना चाहती है और यह विपक्ष का अधिकार है.

भाकपा के गुरूदास दासगुप्ता ने कहा, ‘कार्यस्थगन के तहत तत्कालिक महत्व और उभरती हुई स्थिति से जुड़े अभूतपूर्व विषयों पर चर्चा होती है. अब संसद को तय करना है कि महंगाई अभूतपूर्व स्थिति है या नहीं. अगर महंगाई अभूतपूर्व स्थिति है तो क्या इस विषय पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा नहीं होनी चाहिए.’

{mospagebreak}तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कार्यस्थगन प्रस्ताव की बजाए नियम 193 के तहत महंगाई पर चर्चा कराने का पक्ष लेते हुए कहा, इसमें संदेह नहीं कि यह ज्वलंत विषय है और लोग भूख से परेशान हैं. उन्होंने कहा कि उनके दल की नेता ममता बनर्जी ने पेट्रोलियम पदाथरे के दाम बढ़ाये जाने का विरोध किया था.

बंदोपाध्याय ने कार्यस्थगन के बजाए नियम 193 के तहत महंगाई पर चर्चा कराने का नोटिस दिया है.

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सरकार में शामिल एक अन्य दल द्रमुक के टी आर बालु ने भी इस विषय पर नियम 193 के तहत चर्चा कराये जाने का पक्ष लिया.

बसपा के दारा सिंह चौहान ने कहा कि उनकी पार्टी का सरकार गिराने का कोई इरादा नहीं है लेकिन वह कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत महंगाई पर चर्चा कराने के पक्ष में है.

इस विषय पर अन्नाद्रमुक के एम थम्बीदुरई, तेदेपा के नामा नागेश्वर राव, शिवसेना के आनंद राव अडसूल, बीजद के अजरुन चरण सेठी ने भी अपने विचार रखे.
उधर राज्यसभा में महंगाई के मुद्दे पर मत विभाजन के प्रावधान वाले विशेष नियम के तहत चर्चा की मांग को लेकर राजग, वाम दलों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे कुछ दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण बुधवार को लगातार दूसरे दिन भी कामकाज ठप रहा और एक बार के स्थगन के बाद कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी.

सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे शुरू होने पर राजग, वाम दल, बसपा, सपा, बीजद, राजद, अन्नाद्रमुक, लोजपा आदि दलों के सदस्यों का हंगामा जारी रहा.

सदस्य मत विभाजन के प्रावधान वाले विशेष नियम के तहत चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे थे. भाजपा के सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे.

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हंगामे के बीच ही उपसभापित के रहमान खान ने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और फिर बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी.

इससे पहले हंगामे के कारण राज्यसभा में बुधवार को लगातार दूसरे दिन भी प्रश्नकाल नहीं चल पाया और उच्च सदन की बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर 12 बजे तक के लिये स्थगित कर दी गयी. बैठक शुरू होते ही सबसे पहले छत्तीसगढ़ से निर्वाचित भाजपा नेता नंदकुमार साय ने सदन की सदस्यता की शपथ ली.

इसके तुरंत बाद विपक्ष मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम 168 के तहत महंगाई के मुद्दे पर चर्चा की मांग करने लगा. सभापति हामिद अंसारी ने सदस्यों से शांत रहने की अपील की.

इस बीच सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने विपक्ष की मांग का विरोध करते हुए प्रश्नकाल चलने देने के लिये कहा. हंगामा थमते नहीं देख सभापति ने बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिये स्थगित कर दी.

गौरतलब है कि मंगलवार को भी राज्यसभा में इसी मुद्दे पर प्रश्नकाल नहीं चल सका था और मुख्य विपक्षी भाजपा ने संकेत दिये थे कि वह एक बार फिर नियम 168 के तहत उच्च सदन में महंगाई के मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराने की मांग करेगी.

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