यूपीएससी विवाद पर सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है. मेरिट में अंग्रेजी के अंक नहीं जोड़ने का सरकार का ताजा ऐलान सिर्फ इस साल के लिए लागू होगा. सूत्रों के अनुसार सरकार अगले साल CSAT की समीक्षा को तैयार है. सरकार के इस फैसले के लिए समय की कमी को वजह बताया जा रहा है. समय कम होने के कारण सरकार इस साल कोई बड़ा बदलाव करने को तैयार नहीं है.
गौरतलब है कि कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को लोकसभा में कहा था कि CSAT हटाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया जाएगा. हालांकि उन्होंने हिंदी के छात्रों को आंशिक राहत देते हुए कहा था कि मेरिट में अंग्रेजी के अंक नहीं जोड़े जाएंगे. सदन में जितेंद्र सिंह ने कहा था कि 2011 के छात्रों को एक और मौका मिलना चाहिए. उन्होंने कहा था कि अंग्रेजी के अंक जोड़ने का कोई औचित्य ही नहीं है. ऐसा नहीं होना चाहिए.
हालांकि राज्य सभा में व्यालार रवि और डी. राजा ने सवाल उठाया था कि इस नए प्रावधान से तमिल, तेलुगू और अन्य भारतीय भाषा के छात्राें के साथ भेदभाव हो सकता है. इस पर जितेंद्र सिंह ने जवाब दिया, ‘अंग्रेजी का हिस्सा या ‘कॉम्प्रीहेन्शन’ हटाए जाने से परीक्षा भाषाई आधार पर न्यूट्रल हो गई है. भेदभाव का सवाल ही कहां है, मुझे समझ नहीं आता कि अब क्या कंफ्यूजन है.’
ज्यादातर प्रदर्शनकारी छात्र CSAT न हटाए जाने के फैसले से नाखुश हैं. छात्रों का कहना है कि उनकी मांग CSAT हटाने को लेकर थी, अंग्रेजी का ‘कॉम्प्रीहेंशन’ हटाने की नहीं. गौरतलब है कि रविवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मुद्दे पर विचार के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह वपार्टी के अन्य नेताओं से अलग-अलग मुलाकात की थी.