दिल्ली उच्च न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग से विकलांगों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने को कहा है. अदालत ने सिविल सेवा के उन आकांक्षियों के आवेदनपत्रों को रद्द नहीं करने को कहा जो दृष्टि बाधित होने के कारण समुचित ढंग से भर नहीं पाते.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने आयोग से ए राहु वर्मा के आवेदन को रद्द नहीं करने को कहा क्योंकि वह निर्धारित स्थान पर फोटो समुचित ढंग से चिपका नहीं पाया था. वर्मा 75 फीसदी दृष्टि बाधित है.
आयोग की ओर से पेश वकील नरेश कौशिक ने दलील दी कि वह संघ लोक सेवा आयोग को मनाने की कोशिश करेंगे कि वह उम्मीदवार की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए सहानुभूति बरते.
संघ लोक सेवा आयोग ने वर्मा का 2010 का आवेदन रद्द कर दिया था लेकिन एकल न्यायाधीश ने आयोग के इस निर्णय को खारिज कर दिया था और अभ्यर्थी को प्रारंभिक परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी थी. यूपीएससी ने इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिस पर पीठ ने अभ्यर्थी के पक्ष में यह फैसला सुनाया.
आयोग ने दलील दी कि वर्मा ने आवेदन सही ढंग से नहीं भरा था क्योंकि उसने बार कोड के उपर ही फोटो चिपका दिया था . इस प्रकार की गलती की अनदेखी नहीं की जा सकती .