भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपियों को राहत मिलेगी या नहीं, इसका फैसला सोमवार को हो जाएगा. दरअसल, सोमवार को इस बाबत सुप्रीम कोर्ट अपना आदेश सुनाएगी.
इससे पहले, गुरुवार को मामले की सुनवाई शुरू हुई और दोनों पक्षों के बीच जमकर बहस हुई. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. कोर्ट ने पक्षकारों को शनिवार तक लिखित दलीलें देने को भी कहा है.
बता दें कि बुधवार को सुनावई के दौरान महाराष्ट्र पुलिस ने शीर्ष अदालत के समक्ष तमाम दस्तावेज रखे थे. इसमें कहा गया कि इन पांचों आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. वहीं, दूसरी ओर बचाव पक्ष ने महाराष्ट्र पुलिस की थ्योरी को सिरे से नकार दिया. फिलहाल कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी पांचों वामपंथी विचारक अपने घर में नजरबंद हैं.
महाराष्ट्र पुलिस का दावा- सबूत है
महाराष्ट्र पुलिस का दावा है कि पहले इन आरोपियों के खिलाफ सबूत इकट्ठे किए गए और फिर इनको गिरफ्तार किया था. हालांकि बाद में अदालत ने पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए इनको नजरबंद रखने का आदेश दिया था.
बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा, 'हम महाराष्ट्र पुलिस के सारे सबूतों को बाज की नजर से देखेंगे. हम ये समझ रहे हैं कि आप उनका विरोध दिखा रहे हैं, लेकिन इसके लिए आपके पास पुख्ता सबूत भी होने चाहिए. कानून और व्यवस्था के खिलाफ या सरकार को गिराने की कोशिश और सिर्फ अंतराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करने के फर्क को समझना चाहिए.'
बता दें कि ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट और दिल्ली लॉ कॉलेज की प्रोफेसर सुधा भारद्वाज को सूरजकुंड के चार्मवुड विलेज स्थित उनके फ्लैट से महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस ने उनका लैपटॉप, पेन ड्राइव और दो मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिए.