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उर्दू लेखक ने लौटाया पद्म श्री पुरस्कार, कहा- देश में डर का माहौल

उर्दू लेखक मुजतबा हुसैन ने कहा कि हमारा लोकतंत्र बिखर रहा है. अभी कोई व्यवस्था नहीं है, किसी को सुबह 7 बजे शपथ दिलाई जा रही है, तो रात के समय सरकारें बनाई जा रही हैं.

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उर्दू लेखक मुजतबा हुसैन (ANI)
उर्दू लेखक मुजतबा हुसैन (ANI)

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  • मुजतबा हुसैन ने कहा-लोगों की आवाज दबाई जा रही
  • आम आदमी मर रहा है लेकिन किसी का ध्यान नहीं

उर्दू लेखक मुजतबा हुसैन ने पद्म श्री पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र बिखर रहा है. अभी कोई व्यवस्था नहीं है, किसी को सुबह 7 बजे शपथ दिलाई जा रही है, रात के समय सरकारें बनाई जा रही हैं, देश में डर का एक माहौल है.

मुजतबा हुसैन ने कहा कि आपराधिक गतिविधियां दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं जिससे लोकतंत्र के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. हुसैन ने कहा, लोकतांत्रिक ढांचा गांधीजी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, अंबेडकर जैसे लोगों ने खड़ा किया जो अब टूट रहा है. लोगों की आवाज दबाई जा रही है, लोगों को मारा जा रहा है और गरीबों के साथ स्थिति ये है कि वे हंसने के लायक नहीं बचे.

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मुजतबा हुसैन ने ये बातें समाचार एजेंसी पीटीआई से कहीं. हुसैन को साल 2007 में उर्दू साहित्य में पद्म श्री सम्मान मिला था. बता दें, पद्म श्री भारत का चौथा सबसे सम्मानित नागरिक सम्मान है. हालांकि हुसैन ने इस गड़बड़ी के लिए बीजेपी को जिम्मेदार नहीं ठहराया और कहा कि राजनीति में आजकल गिरावट आम बात है. नेता पहले राजनेता हुआ करते थे. अब वैसी राजनीति का अंत हो गया है.

हुसैन से पुरस्कार लौटाने का कारण पूछा गया, इसके जवाब में 87 साल के लेखक ने कहा, आज के हालात से मैं खुश नहीं हूं. मॉब लिंचिंग, दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं. दिनों दिन अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है. नेता अब सरकार नहीं चलाते, बल्कि गुंडाराज चल रहा है. आम आदमी चिंता में है..आम आदमी मर रहा है लेकिन उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है.(PTI)

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