शिरीन दलवी, मुंबई के उर्दू दैनिक अवधनामा की एडिटर, पर फैंच मैगजीन चार्ली एब्दो का विवादित कवर बनाने को लेकर कई केस फाइल किए गए हैं. 17 जनवरी को सामने आए उस किस्से के बाद से शिरीन एक भगोड़े की जिंदगी गुजार रही हैं. मुब्रा में उनके घर पर ताला लगा है. उनका बेटा और बेटी कुछ संबंधियों के घर रह रहे हैं. वो खुद अपने दोस्तों के घर पर छिपती फिर रही हैं .
गुरुवार को 'अवधनामा' के पूर्व कर्मचारियों के तौर पर एक प्रेस मीटिंग बुलाकर दल्वी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए बताया कि पेपर के मैनेजमेंट ने कार्टून पब्लिश कर पेपर बंद कर देने का कोई षड्यंत्र नहीं किया. उन्होंने कहा, ' इस मुद्दे पर मैनेजमेंट से कोई विचार विमर्श नहीं किया गया था. और न ही मुझे एब्दो का कवर बनाने के लिए कहा गया था. मैंने सिर्फ पोप के स्टेटमेंट के साथ इसे लगा दिया था. अगले ही दिन मैंने अपनी गलती महसूस की और एडिटोरियल लिख कर बताया कि ये मैंने जान बूझकर नहीं किया था. अब मेरे पास नौकरी नहीं है. कुछ लोगों का मानना है कि मेरी एक एड एजेंसी भी है जिससे मैं जिंदगी काट सकती हूं, लेकिन एक रिफ्यूजी की तरह जिंदगी गुजारते हुए मैं वो एड एजेंसी भी नहीं चला सकती.'
बुधवार को बाम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दलवी ने अपने खिलाफ सभी केस रद्द करने की मांग की. ह्यूमन राइट्स ग्रुप 'हम आजादियों के हक में' ने भी गुजारिश की है कि अगर दलवी ने माफी मांग ली है तो उनके खिलाफ केस बंद कर दिए जाएं.