एक समय ऐसा था जब अमेरिका को नरेंद्र मोदी से परहेज था. गुजरात दंगों के दाग के कारण उन्हें वीजा तक नहीं दिया गया. हालांकि, लोकसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद सबकुछ बदल सा गया है. पहले राष्ट्रपति ने मोदी को अमेरिका आने का न्योता दिया, अब खबर आ रही है कि इस दौरे पर मोदी को अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने का मौका भी मिल सकता है. यह मौका दुनिया के चुनिंदा नेताओं को ही मिलता है. इस आशय की खबर की अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' ने दी है.
दरअसल, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के विदेशी मामलों की कमिटी के चेयरमैन एड रॉयस ने शुक्रवार को स्पीकर जॉन बॉनर को अर्जी दी कि मोदी को भाषण देने के लिए न्योता दिया जाए. जॉन बॉनर को लिखी चिट्ठी में रॉयस ने कहा है, 'इस बार भारत के लोकसभा चुनाव में करीब 500 मिलियन लोगों ने वोट डाला. यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए किसी पर्व के समान था और भारत के लिए ऐतिहासिक मौका भी. अमेरिका को मोदी के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत हों.' एड रॉयस की इस चिट्ठी पर अमेरिकी सांसद जॉर्ज होल्डिंग ने भी हस्ताक्षर किए हैं.
रॉयस ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों पर लिखा है, 'पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि वह लाल फीताशाही के खिलाफ हैं जिसके कारण दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध तेजी से बढ़ पा रहे थे. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच आर्थिक समझौते में भी तेजी आएगी.'
आपको बता दें कि जिन दो अमेरिकी सांसदों ने ये चिट्ठी लिखी है, वह दोनों रिपब्लिकन पार्टी से आते हैं और स्पीकर बॉनर भी इसी पार्टी के हैं. लोकसभा चुनावों से बहुत पहले जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार भी नहीं घोषित किया था तब इसी पार्टी के कई सांसद गुजरात दौरे पर आए थे. यह 2013 के शुरू में हुआ था.
अगर मोदी को यह निमंत्रण मिलता है और इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो मोदी अमेरिकी संसद को संबोधित करने वाले देश छठे प्रधानमंत्री बन जाएंगे. इससे पहले जवाहर लाल नेहरू ने 1949, राजीव गांधी ने 1985, पीवी नरसिंहा राव ने 1994, अटल बिहारी वाजपेयी ने 2000 और मनमोहन सिंह ने 2005 में अमेरिकी संसद में भाषण दिया था.