scorecardresearch
 

TCS, Infosys ने H1 B वीजा नियमों का उल्लंघन किया: अमेरिका

व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर डाली गई बातचीत के अनुसार वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आप उनके नाम जान ही रहे होंगे टाटा, इंफोसिस और कोग्निजेंट जैसी कंपनियां को सबसे ज्यादा एच 1 बी वीजा मिलता है.

Advertisement
X
 एच 1 बी वीजा
एच 1 बी वीजा

Advertisement

अमेरिका ने शीर्ष भारतीय आईटी कंपनियों टीसीएस और इंफोसिस पर लॉटरी प्रणाली में ज्यादा टिकट डाल कर एच 1 बी वीजा का एक बड़ा हिस्सा हथियाने का आरोप लगाया है. अमेरिका का ट्रंप प्रशासन वीजा नियमों को और सख्त बनाने में लगा है. ट्रंप सरकार के एक अधिकारी ने पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से चर्चा में कहा कि कुछ बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनियां लॉटरी में ढेर सारे टिकट लगा देती हैं जिससे इस लॉटरी ड्रा में उनकी सफलता की गुंजाइश बढ़ जाती है.

व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर डाली गई बातचीत के अनुसार वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आप उनके नाम जान ही रहे होंगे टाटा, इंफोसिस और कोग्निजेंट जैसी कंपनियां को सबसे ज्यादा एच 1 बी वीजा मिलता है. वे बहुत ज्यादा संख्या में वीजा के लिए अर्जी लगाती हैं. इसके लिए जतने वीजा मिलेंगे वे लॉटरी में ज्यादा टिकट डालकर बड़ी संख्या में वीजा हासिल कर लेती हैं. जब ये सवाल किया गया कि खाली भारतीय कंपनियों का ही उल्लेख क्यों किया जा रहा है तो व्हाइट हाउस का जवाब था कि सबसे ज्यादा वीजा जिन तीन कंपनियों को मिला है उनमें टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज, इंफोसिस और कोग्निजेंट शामिल हैं.

Advertisement

अधिकारी ने कहा, इन तीनों कंपनियों में एच 1 बी वीजा वालों के लिए औसत तनख्वाह 60,000 से 65000 डालर प्रतिवर्ष है. इसके विपरीत सिलिकन वैली में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की औसत तनख्वाह करीब 150,000 डालर है. तीनों भारतीय कपंनियों ने अमेरिका प्रशासन के बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

Advertisement
Advertisement