उत्तर प्रदेश की सियासत में साल 1989 से ही सत्ता से दूर रहने वाली कांग्रेस पार्टी आगामी विधान सभा चुनाव में वापसी के सपने देख रही है. हालांकि कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी इस बात का अंदाजा है कि उत्तर प्रदेश में भले ही वे अकेले चलें लेकिन गठजोड़ जरूरी होगा.
इसी के मद्देनजर राहुल गांधी ने देवरिया से दिल्ली तक की अपनी किसान यात्रा में किसानों का कर्जा माफा और बिजली बिल हाफ करने के लिए आम जनता से फॉर्म भी भरवाया था. इसे उन्होंने किसान मांग पत्र का नाम दिया था. ऐसा माना जाता है कि अलग-अलग विधानसभाओं में टिकट के बंटवारे के पीछे भी इन मांग पत्रों की अहम भूमिका होगी.
कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बनाई थी रणनीति
कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस रणनीति के साथ बढ़ रहे थे. सब कुछ ठीक भी चल रहा था. इसी बीच नोट बंदी ने सारे मुद्दों को पीछे छोड़ दिया. इसके बावजूद तय हुआ कि कांग्रेस अपने कार्यक्रम पर आगे बढ़ेगी इसी के चलते बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय में यूपी के लोगों से भरवाए गए दो करोड़ किसान पत्र मीडिया के सामने रखे. आज तक ने इन पत्रों की सच्चाई जानने की कोशिश की.
आज तक ने अपनी जांच-पड़ताल में पाया कि काफी हद तक लोग इस अभियान से जुड़े थे लेकिन हेराफेरी करने वाले भी बाज नहीं आए. आज तक के पास ऐसे भी दस्तावेज मौजूद है जो बताते हैं कि भले ही ज्यादातर किसान मांग पत्र सही हैं लेकिन कई ऐसे भी दस्तावेज हैं जिसमें फोन नंबर नदारद है. इसके अलावा कई ऐसे भी किसान पत्र हैं जिन्हें एक ही हैंड राइटिंग में भरा गया है. ऐसे में कहानी कुछ और ही उभर कर आती है. हालांकि राहुल गांधी इस पूरे मामले पर कहते हैं कि वे इस पूरे मांग पत्र को सरकार के समक्ष सौपेंगे. दो करोड़ किसानों के मांग पत्र पूरे उत्तर प्रदेश से भरवा कर लाए गए हैं.
राहुल ने बाकी का फैसला मोदी सरकार पर छोड़ा
अब कांग्रेस और राहुल का कहना है कि फैसला मोदी सरकार को लेना है. वे किसानों को कर्जे से माफी न मिलने की स्थिति में सरकार को आंदोलन की चेतावनी देते हैं. हालांकि इन तमाम खबरों और प्रगति के बावजूद यह सवाल अब भी बरकरार है कि उत्तर प्रदेश में शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने वाली कांग्रेस अब समाजवादी पार्टी के दरवाजे पर गठजोड़ की बात क्यों कर रही है. ऐसे भी पार्टी को यह जल्द से जल्द तय करना है कि आखिर वह किस दिशा में जाना चाहती है.
उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर हैं परेशान
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर परेशान है कि प्रशांत किशोर की मुलायम और अखिलेश से मुलाकात कार्यकर्ताओं और संभावित उम्मीदवारों को परेशान कर रही है. वे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस की स्थिति देखते हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए यह तय करना भी जरूरी हो जाता है कि वह सपा के साथ जाएगी, ब.स.पा का इंतजार करेगी या फिर शीला के नाम पर आगे बढ़ेगी. अब इस बात से तो सभी वाकिफ हैं कि शीला सिर्फ चाणक्य का एक दांव हैं. ऐसे में पार्टी को जल्द ही तय करना होगा कि वह किस ओर जाएगी. कांग्रेस पार्टी ऐसे में वेट एंड वॉच की पॉलिसी पर चल रही है.