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तेज बारिश की वजह से उत्तराखंड के ज्‍यादातर इलाकों में नहीं शुरू हो पाया रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन

कुदरत के कहर से जूझ रहे उत्तराखंड में एक बार फिर मौसम खराब हो गया है. देहरादून समेत गुप्‍तकाशी, केदारनाथ, हरसिल और गौरीकुंड समेत कई इलाकों में जोरदार बारिश हो रही है, जिसके चलते रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन रुक गया है. बचाव दल के सामने अभी भी 10 हजार लोगों की जान बचाने की चुनौती है. रेस्‍क्‍यू में लगे जवान बारिश के रुकने का इंतजार कर रहे हैं.

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उत्तराखंड में तबाही
उत्तराखंड में तबाही

कुदरत के कहर से जूझ रहे उत्तराखंड में एक बार फिर मौसम खराब हो गया है. देहरादून समेत गुप्‍तकाशी, केदारनाथ, हरसिल और गौरीकुंड समेत कई इलाकों में जोरदार बारिश हो रही है, जिसके चलते रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन रुक गया है. बचाव दल के सामने अभी भी 10 हजार लोगों की जान बचाने की चुनौती है. रेस्‍क्‍यू में लगे जवान बारिश के रुकने का इंतजार कर रहे हैं.

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उधर, बारिश की आफत के बीच नेशनल डिजास्‍टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) की दिल्ली में बैठक हुई है. बैठक में अधिकारियों ने विकट हालात में रेस्क्यू ऑपरेशन चालू रखने पर माथापच्ची की.

उधर, उत्तराखंड के प्राकृतिक आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ने आशंका जतायी कि इस आपदा में कम से कम 5000 व्यक्तियों की मृत्यु हो सकती है जबकि बचावकर्मियों ने सड़क और हवाई मार्ग से राज्य में विभिन्न जगहों पर फंसे हुए और 12 हजार लोगों को निकाल लिया.

बहरहाल, अब भी 10 हजार लोग वहां फंसे हुए हैं जिन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाए जाने की जरूरत है.

बाढ़ और भूस्खलन का केन्द्र रहे केदारनाथ घाटी में फंसे सभी लोगों को बाहर निकाल लिया गया है. रुक-रुक कर जारी वर्षा के बीच चल रहे बचाव अभियान के तहत 12 हजार तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बचाया गया है.

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मौसम विभाग की ओर से उत्तराखंड में सोमवार को मौसम खराब रहने की चेतावनी दिए जाने के बाद बचाव अभियान में जुटी तमाम एजेंसियों, थल सेना, वायुसेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ आदि ने बद्रीनाथ सहित तीन इलाकों में फंसे 10 हजार लोगों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर बचाव कार्य शुरू कर दिया है.

आपदाग्रस्त इलाकों का सर्वेक्षण करने के बाद जॉलीग्रांट हवाइअड्डे पर मंत्री आर्य ने कहा, ‘बड़े इलाके में विशेष तौर पर केदारनाथ घाटी में, भारी तबाही हुई है और इस हादसे में कम से कम पांच हजार लोग मारे गये होंगे.’

राज्य में आधिकारिक तौर पर अब तक 680 लोगों के मरने की पुष्टि की गयी है. हालांकि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि मृतकों की संख्या 1000 के आंकडे को पार कर सकती है.

आर्य ने हालांकि कहा कि मृतकों की सही-सही संख्या तो अभी नहीं बतायी जा सकती है लेकिन आशंका है कि करीब 5000 लोगों की मृत्यु हुई है.

नई दिल्ली में पत्र सूचना कार्यालय की महानिदेशक नीलम कपूर ने बताया कि रविवार को बचाए गए 12 हजार लोगों को मिलाकर अभी तक 80 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है जबकि अभी भी 10 हजार लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं.

रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारतीय वायु सेना के अभियान में 45 हेलीकॉप्टरों ने अपने 250 उड़ानों में करीब 3,200 लोगों को वहां से निकाला है.

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एनडीआरएफ ने विभिन्न इलाकों में जीवित बचे लोगों का पता लगाने के लिए अपने मानवरहित विमान ‘नेत्र’ को काम पर लगाया है. एनडीआरएफ के उपमहानिरीक्षक एस. एस. गुलेरिया ने कहा कि ‘नेत्र’ सोमवार को भी काम करेगा ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सभी जीवित बचे लोगों को पता लगाया जा सके और उन्हें वहां से बाहर निकाला जा सके.

लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के इस काम के लिए रस्सी के पुल और पैदल रास्ते बनाए जा रहे हैं. वहां फंसे हुए लोगों के लिए यह अंधेरे में ‘आशा की किरण’ है.

अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ घाटी से सभी लोगों को निकाल लिया गया है जबकि बद्रीनाथ, जंगलचट्टी, और हर्षिल इलाके में फंसे तीन हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षा बलों ने रविवार को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया. केदारनाथ मंदिर के आसपास के इलाके में अभी भी कई शव पड़े हुए हैं. वहां का दृश्य बड़ा विभत्स है.

हवाई अभियान के महानिदेशक एयर मार्शल एस. बी. देव ने कहा, ‘मंगलवार को होने वाली वर्षा हमारी मुख्य चिंता है. यदि हमें कल तीन से चार घंटे का समय मिला तो हम अच्छा कर सकते हैं.’

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