scorecardresearch
 

केदारनाथ में शवों का होगा सामूहिक अंतिम संस्कार

शिव की नगरी श्मशान में तब्दील हो चुकी है. महाविनाश ने ऐसी गुंजाइश भी नहीं छोड़ी है कि सड़कों या अन्य रास्तों से शिवभक्तों के शव नीचे लाए जा सकें. लिहाजा सरकार केदारनाथ में ही मलबे में दबे शवों के सामूहिक अंतिम संस्कार में जुट गई है.

Advertisement
X
केदारनाथ
केदारनाथ

शिव की नगरी श्मशान में तब्दील हो चुकी है. महाविनाश ने ऐसी गुंजाइश भी नहीं छोड़ी है कि सड़कों या अन्य रास्तों से शिवभक्तों के शव नीचे लाए जा सकें. लिहाजा सरकार केदारनाथ में ही मलबे में दबे शवों के सामूहिक अंतिम संस्कार में जुट गई है.

Advertisement

कुदरत के महाविनाश ने हिन्दुस्तान की सबसे पवित्र शिव भूमि को ऐसे तबाह किया है कि शिवभूमि श्मशान भूमि बन गई है. भगवान केदारनाथ का मंदिर है लेकिन उसके चारों तरफ मातम पसरा है. महाविनाश के हफ्ते भर से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अब भी यहां लाशों का अंबार है.

जो महाविनाश की लहरों में बहकर दूर निकल गए उन भक्तों का तो कोई नामलेवा भी नहीं लेकिन जिन लोगों ने मलबे के नीचे दबकर दम तोड़ा वो अब भी मलबों के गर्त में ही खैर खबर लिए जाने का इंतजार कर रहे हैं.

महाविनाश में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार भी बड़ी चुनौती है. सरकार ने अब तक इस तरफ ध्यान नहीं दिया है, इसलिए स्थानीय लोग ही इसकी पहल कर रहे हैं. गोचर में स्थानीय महिलाओं ने लकड़ी के गट्ठर जमा किए और एयरफोर्स की मदद से उन्हें केदारनाथ तक भेजा. इन्हीं लकड़ियों से केदारनाथ में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार किया जाएगा.

Advertisement

शवों की पहचान के लिए डीएनए सैंपल लिए जाएंगे.

उत्तराखंड सरकार ने ऐलान किया था कि केदारनाथ में फंसे शवों का अंतिम संस्कार जल्द शुरु होगा. साथ ही सरकार ने ऐलान किया है कि अंतिम संस्कार से पहले सभी मृतकों की तस्वीरें ली जाएंगी और उनके डीएनए सैंपल भी सुरक्षित रखे जाएंगे. अंतिम संस्कार के लिए जरुरी सामान, संस्कार करने वाले पुरोहित और कुछ अधिकारी केदारनाथ भेजे गए हैं लेकिन मलबे से शवों को निकालने और उसकी पहचान करने का काम भी अपने आप में पहाड़ जैसा है.

प्रशासन तो अभी ये भी बताने की स्थिति में नहीं कि केदारनाथ में कितने शव हैं. अधिकारियों का यही कहना है कि मलबों को हटाने के बाद ही केदारनाथ का सही हाल बताया जा सकेगा. लेकिन अधिकारी इतना जरुर कह रहे हैं कि शवों को नीचे लाना किसी हाल में मुमकिन नहीं. बेहतर से बेहतर यही हो सकता है कि शव को निकाले जाने के बाद पहचान के लिए तस्वीर ली जाए, वीडियो लिए जाएँ. बचे खुचे सामान बटोरे जाएं और सम्मान के साथ शवों का अंतिम संस्कार कर दिया जाए.

शिव की नगरी केदारनाथ में दिवंगत हुए लोगों के अंतिम संस्कार के लिए हेलीकॉप्टर के लिए टनों लकड़ी भेजी गई है लेकिन अंतिम संस्कार का काम तभी शुरु हो पाएगा जब मौसम का मिजाज ठीक होगा. उम्मीद है जल्द ही मलबों में दबे शवों को निकालकर उनका अंतिम संस्कार शुरू कर दिया जाएगा.

Advertisement
Advertisement