उत्तराखंड में भारी बारिश से मची तबाही और त्रासदी को कोई कैसे बयां करें. पीड़ितों के आंसूओं का कोई क्या मोल लगाए. इस मातम का कोई क्या नाम दे. बिलखते, सिसकते सैंकड़ों लोगों का कोई न कोई अबतक इस भयानक त्रासदी में या तो लापता है या फिर हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़कर चला गया है.
सरकारी आंकड़ो में तो मौत की गिनती अभी तक 200 से नीचे ही है. कईयों को बचाने की दुहाई दी जा रही है लेकिन देश के अलग अलग हिस्सों में मौजूद कई ऐसे परिवार हैं जो अबतक अपनों की सलमाती का हाल जानने के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार है.
हरदोई के परिवार पर टूटा कुदरत का कहर
जिस परिवार के 7 लोगों का एक साथ काल के गाल में समाने की आशंका हो, उस परिवार पर दुखों का कितना बड़ा पहाड़ टूटा रहा है. उत्तर प्रदेश के हरदोई में विभूति नगर के ओम प्रकाश पांडे के परिवार के 9 लोग बदरीनाथ-केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकले थे. लेकिन केदारनाथ में कुदरत ने जो कहर बरपाया है, उसने परिवार के 7 लोगों को पिछले 4 दिनों से लापता कर दिया है. खबर है कि गौरकुंड के जिस होटल में परिवार के सभी सदस्यों ने आसरा लिया हुआ था. अब उस होटल का ही कोई नामोनिशान नहीं है. अब सामने अपनों की तस्वीरों को देखकर दिल जार-जार हो रहा है और घर का ये बेटा अतुल पांडे कह रहा है कि केदार से उतरे सैलाब में पापा मां, भाई भाभी सब बह गए.
बादल फटने के बाद से राजस्थान से आया परिवार लापता
राजस्थान के भी हजारों लोग उत्तराखंड के ऊंचे पहाड़ों में लापता हैं. अपनों से संपर्क टूट जाने की वजह से राज्य में मौजूद लोगों से बेचैनी है, बेबसी है. जयपुर के आशीष मेहरा के मां-बाप और नाना-नानी समेत 6 लोग केदारनाथ गए हैं जिनका कोई पता नहीं चल पा रहा है. आखिरी बार उनका फोन आया था कि बादल फटा है और वो भागकर अपनी जान बचा रहे हैं लेकिन उसके बाद से अपने परिवार की कोई खबर नहीं आई है. पीड़ित आशीष मेहरा कहते हैं, 'हद से ज्यादा परेशान हो रहे हैं.'
दिल्ली से आए परिवारों के घर पसरा मातम
दिल्ली के पीतमपुरा में रहने वाला महेश्वरी परिवार भी दर्द के प्रलय में डूब चुका है. इनके घर के 4 लोग चार धाम की यात्रा पर गए थे लेकिन पिछले 3 दिनों से इनकी सलामती की कोई खबर इनके कानों तक नहीं पहुंची है. दिल्ली में परिवार रो रहा है क्योंकि 3 दिन पहले बेटे दीपेश की पिता से बात हुई थी और पिता ने 4 मिनट 37 सेकंड की बातचीत में कहा था कि हमारे साथ 200 से भी ज्यादा यात्री फंसे हैं और चारों और लाशें ही लाशें बिछी हैं. दीपेश कहते हैं, 'पूरा परिवार अपनों की फोटो देख देख कर दिन रात गुजार रहा है. इसी आस में कि शायद कहीं से कोई अच्छी खबर आ जाए.'
दिल्ली के एक और परिवार के 4 लोग केदरानाथ में भोलेनाथ के दर्शन के लिए गए थे लेकिन उनकी भी कोई खबर उनके बेटे तक नहीं पहुंच रही है. लैपटॉप में बंद अपने मां-बाप की इन तस्वीरों को देखकर बेटे का दिल और बैठा जा रहा है.
टीवी से नहीं हट रही है जोधपुर की चांद देवी की नजरें
दुखों की दास्तां यहीं खत्म नहीं होती. जोधपुर की चांद देवी की उम्र 80 साल के करीब है लेकिन आंखें टीवी से हटती नहीं. हर पल बस एक ही चिंता है कि केदारनाथ यात्रा पर गई उनकी बहु और पोते-पोती पता नहीं किस हाल में होंगे. चांद देवी आंखो में आंसू लिए कभी फोन मिलाती हैं तो कभी टीवी पर चल रही खबरों में अपने लाडलों को तलाशती हैं.
आंसुओं के समंदर में डूबा जोधपुर का एक और परिवार
जोधपुर के ही लक्ष्मी नारायण ने अपनी बेटी और दामाद को खुशी खुशी घर से चार धाम की यात्रा पर भेजा था लेकिन ईश्वर के धाम में आए बर्बादी के सैलाब ने इनकी आंखों में आंसूओं का समंदर पैदा कर दिया है. अब बाकी है तो सिर्फ बेटी और दामाद का इंतजार. बेटी सिमरन भी अपने पापा मम्मी को देखने के लिए बेताब हो रही है.
अलीगढ़ के दर्जनों परिवारों में दुख प्रलय
अलीगढ़ में भी दर्जनों परिवारों में मातम पसरा हुआ है. लेकिन एक ही परिवार के 11 में से 9 लोगों का कोई अता पता नहीं चल रहा है. आखिरी सूचना 17 तारीख को मिली कि वो सभी केदारनाथ के एक होटल में रुके हैं लेकिन अगली जानकारी ये आई कि रात में सारे लोगों को हाहाकारी मंदाकिनी अपने साथ ले गई. इन घरों में चूल्हे भी नहीं जले क्योंकि अपनों के खोने का गम पेट की भूख पर भारी पड़ रही थी.
नाडियाड के 39 लोगों की कोई खोजखबर नहीं
जगदीश शाह के परिवार के 8 लोग केदारनाथ की यात्रा में नडियाड से हंसी खुशी निकले थे. भगवान का आशीर्वाद लेकर घर लौटने का भरोसा था लेकिन अब परिवार के किसी भी सदस्य से कोई संपर्क नहीं हो रहा है. परिवार का बुजुर्ग भी सरकार से अपील के अलावा अब और कर भी क्या सकता है. जगदीश शाह ने बताया, 'मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील है कि हमारे खोए हुए परिवार को वापस लाएं.' नाडियाड के 39 लोग चार धाम की यात्रा पर गए थे जिनकी कोई खोजखबर नहीं मिल रही है.
बेबस है भोपाल का परिवार
जरा भोपाल की प्रज्ञा नायक के बारे में भी सोचिए जिनकी मां केदारनाथ के दर्शन के बाद से ही लापता हैं. न फोन लग रहा है और न ही किसी तरह की कोई जानकारी सामने आ रही है. मां के साथ परिवार के 7 लोगों से आखिरी बात शनिवार को ही हुई थी लेकिन अब घर में सिवाए बेबसी और आंखों में आंसू के अलावा बेटी और रिश्तेदारों के पास कोई दूसरा चारा भी नहीं बचा है. प्रज्ञा नायक ने कहा, 'मोबाइल से कोई बात नहीं हो रही है. टोन नहीं आ रही है.'
नर्मदा जिले के परिवार की भी कोई खबर नहीं
केदारनाथ की यात्रा पर गए गुजरात नर्मदा जिले के केवाडिया कॉलोनी के एक ही परिवार के 6 लोगों की भी कोई खबर नहीं है. एलेंद्र गोहिल के मां, पापा, बहन, जीजा, बहन की सास और भांजी किस हाल में हैं, एलेंद्र को कोई जानकारी नहीं मिल रही है.
नेताजी सुरक्षित लेकिन सुरक्षागार्ड का अता-पता नहीं
बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी नेता अश्विनी चौबे के साथ उनके सुरक्षागार्ड फूलन ओझा भी केदारनाथ की यात्रा पर गए थे. नेताजी तो सही सलामत हैं लेकिन गार्ड फूलनओझा की कोई खबर नहीं मिल रही है. पटना सिटी के इस परिवार की महिलाओं के गले में रुदन का स्वर है और बेटे की आंखों में सिर्फ सन्नाटा और सरकार से सवाल है.
कुछ यात्री तो ऐसे भी हैं जो खुद तो किसी तरह से बच गए हैं लेकिन उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य इस त्रासदी में गुम हो चुका है. ईश्वर का फैसला भी अजीब है. परिवार का कोई सदस्य सुरक्षित है तो कोई काल के गाल में समा चुका है. आखिर इस जिंदगी का अब क्या मतलब तो ताउम्र अपनी किस्मत से यही सवाल पूछती रहेगी कि मुझे किसके सहारे जीने के लिए छोड़ दिया.