उत्तराखंड में इन दिनों जंगल की आग विकराल रूप धारण कर रही है. पौड़ी, अल्मोड़ा, नैनीताल और चंपावत जिलों में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर आग भड़कने की सूचना है. उत्तराखंड के जंगलों में गर्मी शुरू होने के बाद से अब तक घटनाओं की संख्या 720 से ज्यादा पहुंच चुकी है, जिससे करीब 1000 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इनमें से 168 आग की घटनाएं बड़ी हैं. जंगल में आग लगने से हर साल करीब 550 करोड़ रुपए का नुकसान देश को होता है. जबकि, जंगल की आग के प्रबंधन के लिए जारी किए गए फंड में से सिर्फ 45 से 65% राशि का उपयोग ही नहीं होता.
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) के अनुसार 1 जनवरी 2018 से 29 मई 2019 तक अब तक 252,504 आग की घटनाएं दर्ज की गई हैं. यानी हर रोज आग लगने की करीब 500 घटनाएं होती हैं. इसमें छोटी-बड़ी आग की सभी घटनाएं शामिल हैं. एफएसआई के अनुसार वर्ष 2018 में पूरे देश में जंगल में आग की 37,059 और 2017 में करीब 33 हजार बड़ी घटनाएं दर्ज की गई थीं.
ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच फायर्स के अनुसार इस साल 1 मई से 28 मई तक 103,763 आग की सूचनाएं मिली हैं.
पूरे देश में 2.70 लाख से ज्यादा स्थान जहां लगती है जंगलों में आग
एफएसआई ने 2018 में पूरे देश के जंगलों में 2,77,759 स्थान चिन्हित किए थे, जहां अक्सर आग लगती रहती है. इनमें सबसे ज्यादा आग वाले स्थान मिजोरम (32659) में हैं. अगर 2003 से 2017 तक के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि जंगल में आग की घटनाओं नें 46% का इजाफा हुआ था. लेकिन 2015 से 2017 तक जंगल में आग की घटनाओं नें 125% (15937 से 35888) का इजाफा हुआ.
1 मई से 28 मई तक देश के 10 राज्यों में हुईं आग की घटनाएं
पंजाब - 23291
मध्यप्रदेश - 14857
उत्तर प्रदेश - 13417
उत्तराखंड - 7400
हरियाणा - 6977
छत्तीसगढ़ - 5210
महाराष्ट्र - 4854
राजस्थान - 4346
ओडिशा - 4146
तेलंगाना - 3713
1 मई से 28 मई तक देश के 10 जिलों में हुईं आग की घटनाएं
अमृतसर - 1961
नैनीताल - 1905
लुधियाना - 1859
संगरूर - 1817
तरन तारन - 1696
बठिंडा - 1566
कोटा - 1566
फिरोजपुर - 1554
मोगा - 1550
गुरदासपुर - 1541
जंगल में आग लगने के बड़े कारण
जंगल में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं. इनमें जलती सिगरेट फेंकना, इलेक्ट्रिक स्पार्क, आग पकड़ने वाली वस्तुएं, घास हटाने के लिए जंगल में रह रहे लोगों द्वारा लगाई गई आग आदि. इनके अलावा बिजली गिरने से, गिरते पत्थरों की रगड़ से, सूखे बांस या पेड़ों की आपसी रगड़ से, ज्यादा तापमान और सूखा.