उत्तराखंड में लापता लोगों को अभी मृत घोषित नहीं किया जाएगा और तलाशी अभियान जारी रहेगा. लेकिन इन लोगों के परिजनों को मंगलवार को पांच लाख रुपये मुआवजा भी दे दिया जाएगा. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि जो लोग दूसरे राज्यों के हैं, वह यहां न आएं. उनके राज्यों के मुख्य सचिवों के जरिए मुआवजे की रकम भिजवा दी जाएगी.
बहुगुणा ने बताया कि बचाव अभियान के दौरान उत्तराखंड में 1,10,000 लोगों को बचाया गया जबकि 5748
अभी लापता हैं. इनमें से 940 लोग उत्तराखंड के हैं. वहीं दिल्ली सरकार के
राजस्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि दिल्ली के अब
तक 219 लोग उत्तराखंड में लापता हैं. जैसे ही उत्तराखंड सरकार इनकी संख्या
को कंफर्म करेगी, तो दिल्ली सरकार भी उन्हें मुआवजा देगी.
अनाथ बच्चों को भी मिलेंगे पांच लाख रुपये
मुख्यमंत्री ने कहा कि मृतकों के परिजनों को सरकार जो पैसे दे रही है, वह मुआवजा नहीं, सहायता राशि है. उन्होंने बताया कि अगर लापता लोगों में से कोई घर लौट आता है, तो उसके परिजनों को राशि लौटानी होगी. इसके लिए हर परिवार से शपथपत्र लिया जाएगा.गौरतलब है कि लापता लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये दिए जाएंगे, जिनमें 1.5 लाख रुपये राज्य सरकार देगी. आपदा में अनाथ हो गए बच्चों को भी पांच लाख रुपये की मदद दी जाएगी.
उधर संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार बेघर हुए लोगों को दोबारा बसाने के प्रयास में पूरी शिद्दत से लगी है. उन्होंने केंद्र की ओर से भरोसा दिया कि इस काम में किसी तरह की अड़चन नहीं आने दी जाएगी और योजना आयोग भी मदद करेगा. उन्होंने बताया कि इस पर कैबिनेट की बैठक में भी अहम फैसला भी लिया गया है.
चार धाम के लिए बनाया जाएगा सुरक्षित रूट
सीएम बहुगुणा ने बताया कि चार धाम यात्रा के लिए अब एक सुरक्षित रूट बनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि केदारनाथ पहुंचने के लिए 'रोप वे' के विकल्प पर भी विचार हो रहा है. वहीं सीमा सड़क संगठन ने भी भरोसा दिया है कि 30 सितंबर तक टूटी हुई सड़कें बना ली जाएंगी.
मुख्यमंत्री ने बदरीनाथ के ऊपर किसी नई झील के बनने के खतरे से इंकार किया. उन्होंने बताया कि केदारनाथ में शवों के अंतिम संस्कार में लगी एनडीआरएफ टीम को जरूरी मशीनें पहुंचा दी गई हैं. पर बारिश से प्रक्रिया में दिक्कत हो रही है. रंबाडा में कई शव दिखाई पड़ रहे हैं, पर सेना वहां पहुंच नहीं पा रही.गांवों तक मदद पहुंचाने के लिए एनजीओ और कंपनियों की मदद भी ली जा रही है.