उत्तराखंड के कई स्थानों पर बारिश, भूस्खलन और बादल फटने से सोमवार को बचाव अभियान प्रभावित हुआ है और क्षेत्र में फंसे करीब 10 हजार लोगों में केवल 1,000 लोगों को बाहर निकाला गया. भारी बारिश के पूर्वानुमान के बीच इस क्षेत्र में फंसे लोगों को बाहर निकालने में तीन दिन और लग सकते हैं.
ताजा बारिश, भूस्खलन और बादल फटने के कारण विभिन्न एजेंसियों को अभियान चलाने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. बद्रीनाथ में उंचाई पर फंसे 5 हजार तीर्थयात्रियों में से केवल 164 को निकाला गया और उन्हें छह सीटों वाले कुछ विमानों की मदद से जोशीमठ पहुंचाया गया.
मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने देहरादून में कहा कि हालांकि, बारिश होने के कारण राहत प्रयास प्रभावित हुए है और चमोली जिले और गंगोत्री घाटी समेत अन्य स्थानों से करीब 1000 तीर्थयात्रियों को ही निकाला जा सका. उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ से 164 तीर्थयात्रियों को निकाला गया जबकि हर्सिल, मनेरी और भटवारी से 830 लोगों को निकाला गया.
खराब मौसम के कारण लोगों को सुरक्षित निकालने के कार्य में लगे अधिकांश बड़े सैन्य हेलीकाप्टर खड़े कर दिये गए हैं. चमोली जिले में बद्रीनाथ, पंडुकेश्वर और लम्बागर से छोटे हेलीकाप्टर से 164 लोगों को निकाला गया है.
चमोली और पौड़ी जिले से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, उंचाई वाले इलाके में बारिश के कारण हेलीकाप्टर से अभियान में बाधा आई है. राजधानी देहरादून में बारिश हुई है. रूद्रप्रयाग और बद्रीनाथ राजमार्ग पर ताजा भूस्खलन के कारण मार्ग में रूकावट आ गई है. बारिश और भूस्खलन के अलावा पौड़ी के पैथानी कस्बा के मुलान गांव में बादल फटने की खबर मिली है. कई मकान ध्वस्त हो गए हैं लेकिन जानमाल के नुकसान के बारे में अभी तत्काल पता नहीं चल सका है.
भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि उत्तराखंड में अगले 72 घंटों में एक- दो स्थानों पर भारी से अत्यधिक वर्षा (करीब 25 सेंटीमीटर तक) हो सकती है. केदारनाथ मंदिर के पास सामूहिक अंतिम संस्कार करने के कार्य को रूक रूक कर होने वाली बारिश के कारण किया जा सका. बद्रीनाथ और इसके आस पास के क्षेत्रों में फंसे श्रद्धालुओं को निकालने के लिए सहस्त्रधारा हेलीपैड से अब तक एक भी हेलीकाप्टर उडान नहीं भर पाया है. गुप्तकाशी और गोचर में भी यही स्थिति है जहां रूक रूककर हो रही बारिश और पूरे क्षेत्र में धुंध की समस्या बनी हुई है.
दिल्ली में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि मलबा हटाये जाने के बाद बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड में मरने वालों की संख्या एक हजार के आंकड़े को पार कर सकती है. प्रभावित क्षेत्रों में हवाई बचाव अभियान की देखरेख कर रहे सेवानिवृत्त विंग कमांडर कैप्टन आरएस बराड़ ने कहा कि बद्रीनाथ से करीब 5000 हजार लोगों को अभी निकालना बाकी है और वहां तथा पास के क्षेत्रों में फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने के लिए सहस्त्रधारा हैलीपैड से अब तक एक भी हेलीकाप्टर उडान नहीं भर पाया है.
चमोली और पौड़ी जिलों से खबरें हैं कि उपरी इलाकों में बारिश से हेलीकाप्टर के अभियान पर बुरा असर पड़ा है. राज्य की राजधानी देहरादून में भी बारिश हुई है. बद्रीनाथ राजमार्ग पर फिर से भूस्खलन से रास्ता बंद हो गया है. खराब मौसम से हेलीकाप्टर अभियान प्रभावित होने के बीच राज्य सरकार की केदारनाथ घाटी में अंतिम खोजी अभियान चलाने की योजना में भी बाधा पहुंची है.
सभी को बचा लेने तक उड़ते रहेंगे हेलीकॉप्टर: वायुसेना प्रमुख
उधर भारतीय वायुसेना के प्रमुख एन.ए.के. ब्राउन ने सोमवार को आश्वस्त किया कि उत्तराखंड के बाढ़ग्रस्त इलाकों में अभी भी फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए उनके जवान तब तक हेलीकॉप्टर उड़ाते रहेंगे जब तक कि फंसे हुए प्रत्येक व्यक्ति को निकाल नहीं लिया जाता. ब्राउनी ने फंसे हुए ऐसे लोगों को अपना संदेश पहुंचाया जिन्हें हवाई मार्ग से ही निकाला जा सकता है. ब्राउन ने अपने संदेश में कहा, हमारे हेलीकॉप्टर के पंखे तब तक नहीं बंद होंगे जब तक कि हम आपमें से हर एक को नहीं निकाल लेते.'