उत्तराखंड की आपदा को एक पखवाड़ा गुज़र जाने के बाद राहत अभियान की बदहाली हदों को पार कर रही है. जगह-जगह लोग शिकायत कर रहे हैं कि उन तक कोई मदद नहीं पहुंच पा रही.
परिजनों को तलाश रहे लोग सही खबर के लिए भटक रहे हैं. सबसे खराब हालत है यूपी की ओर से चलाए जा रहे राहत अभियान की.
अपनों की तलाश में उत्तराखंड आई उत्तर प्रदेश से आई एक महिला का ग़ुस्सा ऐसा फूटा कि ऋषिकेश के राहत शिविर में मौजूद चंद वर्दीवालों की बोलती बंद हो गई. यूपी से आए ये लोग कई दिन से भटक रहे हैं, लेकिन यूपी के राहत शिविर में बदइंतजामी का हाल देखकर इनका सब्र जवाब दे गया है.
गुप्तकाशी इलाके के पीड़ित ग्रामीणों तक जब राहत के नाम पर फटे पुराने कपड़े पहुंचे तो उनके भीतर का आक्रोश बाहर आ गया. तोलंगा गांव के लोगों ने उन कपड़ों को फेंक दिया और सवाल उठाए कि ऐसी मदद का भला क्या मतलब है.
जहां सैलाब ने गांव के गांव तबाह कर दिए हैं, वहां लोगों को रोटी-कपड़ा मकान हर चीज की जरुरत है लेकिन मदद के नाम पर कूड़ा-कबाड़ा कबूल करना उन्हें मंज़ूर नहीं. आपदा के बाद राहत सामग्री का बंटवारा और उसकी बर्बादी को लेकर भारी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. कुदरत की मार से टूट चुके लोगों का धीरज आखिर क्यों ना टूटे.