राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ठीक पांच साल बाद अपने परिवार के साथ उत्तराखंड स्थित अपने पैतृक गांव घीड़ी जा रहे हैं. वे 21 जून शुक्रवार सुबह दिल्ली से देहरादून फ्लाइट से पहुंचे, जहां से वे सड़क मार्ग से पौड़ी जिले में मौजूद अपने गांव घीड़ी पहुंचेंगे. इसके बाद एनएसए डोभाल शनिवार सुबह अपनी कुल देवी बाल कुंवारी मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे. इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी, दोनों बेटे, बहू और पोतियां मौजूद रहेंगी.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की इस यात्रा को पूरी तरह निजी रखा गया है. अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने उत्तराखंड सरकार से किसी भी तरह का कोई सरकारी प्रोटोकॉल लेने से इनकार किया है. हालांकि केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री का रैंक होने के साथ ही वह जेड प्लस सुरक्षा कैटेगरी में आते हैं.
परिवार के साथ NSA अजीत डोभाल (फोटो-मनजीत)
2014 में कुलदेवी की पूजा में हुए थे शामिल
अजीत डोभाल पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किए जाने के बाद जून 2014 में अपनी कुलदेवी की पूजा में शामिल होने गांव आए थे. उस वक्त उन्होंने बताया था कि समय की कमी के कारण वे गांव कम ही आ पाते हैं लेकिन जल्द ही फिर गांव आएंगे.
आगरा यूनिवर्सिटी से किया पोस्ट ग्रेजुएशन
एनएसए अजीत डोभाल का जन्म साल 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित घीड़ी गांव में हुआ. कक्षा चार तक की शिक्षा उन्होंने गांव के प्राथमिक विद्यालय में ली. इसके बाद उन्होंने अजमेर के सैनिक स्कूल में प्रवेश लिया. इसके बाद आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस बने.
राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर जबरदस्त पकड़
गौरतलब है कि सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में बालकोट एयर स्ट्राइक तक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हर बड़े फैसले के पीछे अजीत डोभाल की रणनीति थी. पिछले पांच साल में राष्ट्रीय सुरक्षा पर अजीत डोभाल की जबरदस्त पकड़ की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पांच साल का कार्यकाल दिया है. यही नहीं उन्हें कैबिनेट रैंक पर प्रोन्नत किया गया है. पिछली बार उनका कद राज्यमंत्री के बराबर था. प्रधानमंत्री मोदी के सबसे विश्वस्त माने जाने वाले एनएसए अजीत डोभाल देश के सबसे शक्तिशाली नौकरशाह हैं. उन्हें पीएम मोदी की नाक, कान और आंख कहा जाता है यानी उन्हें पता होता है कि पीएम मोदी क्या चाहते हैं.