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अयोध्या मसले के हल के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी वाजपेयी सरकार: शंकराचार्य

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी जयेन्द्र सरस्वती ने दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राजग सरकार अयोध्या विवाद के समाधान के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी और इस उद्देश्य से एक कानून भी बनाने वाली थी.

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कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी जयेन्द्र सरस्वती ने दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राजग सरकार अयोध्या विवाद के समाधान के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी और इस उद्देश्य से एक कानून भी बनाने वाली थी.

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राजग सरकार के कार्यकाल में दोनों पक्षों के बीच बातचीत से अयोध्या विवाद का समाधान निकालने के प्रयासों में केन्द्रीय भूमिका में रहे शंकराचार्य सरस्वती ने मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा ‘मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधियों से समुचित सलाह-मशविरे के बाद तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने वर्ष 2002 में कानून बनाकर अयोध्या विवाद के समाधान का रास्ता निकाल लिया था.’

उन्होंने बताया ‘वाजपेयी ने इस सम्बन्ध में राष्ट्रपति से भी मुलाकात की थी और संसद में कानून बनाकर समस्या के समाधान के लिये वक्तव्य देने का रास्ता साफ हो गया था.’ यह बताते हुए कि अयोध्या विवाद के हल में तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नाडीस ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, शंकराचार्य ने कहा ‘मगर यह प्रयास इसलिये विफल हो गया क्योंकि इसे अमली जामा पहनाए जाने से 15 दिन पहले ही अयोध्या विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय में एक वाद दाखिल हो गया.’ {mospagebreak}

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शंकराचार्य ने यह भी दावा किया कि उनके पास अयोध्या विवाद के समाधान का ऐसा फार्मूला है जो सभी पक्षों को मान्य होगा. बहरहाल, शंकराचार्य सरस्वती ने अपने फार्मूले का खुलासा करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यदि समय से पहले इसे सार्वजनिक कर दिया गया तो समाधान के रास्ते में रुकावटें आ सकती हैं.

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर गत 30 सितम्बर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के फैसले के बाद विवाद को अदालत के बाहर ही निपटाने के लिये हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों की तरफ से हो रहे प्रयासों का समर्थन करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचने से पहले ही आपसी बातचीत से निपट जाए तो इससे अच्छा कुछ नहीं होगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि केन्द्र सरकार अयोध्या विवाद का समाधान चाहती है, उन्होंने कहा कि केन्द्र इस विषय पर इसलिये खामोशी अख्तियार किये हुए है क्योंकि वह दोनों ही हालात में अपनी स्थिति सहज नहीं पाता. शंकराचार्य ने मंगलवार सुबह अयोध्‍या पहुंचने के बाद शंकराचार्य मठ में पूजा-अर्चना की और यहां से बुधवार को वाराणसी जाएंगे, जहां वह पांच दिन रुकेंगे. {mospagebreak}

शंकराचार्य ने बताया कि वाराणसी में पांच दिन के अपने प्रवास के दौरान वह समाज के विभिन्न तबकों के लोगों से अयोध्या विवाद के समाधान के लिये बातचीत करेंगे. ‘भगवा आतंकवाद’ सम्बन्धी बयान के लिये केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को ‘अत्याचारी’ करार देते हुए शंकराचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) अच्छा काम करते रहे हैं.

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उन्होंने बताया कि उनकी अयोध्या यात्रा दर्शन और पूजा-पाठ में शामिल होने के उद्देश्य से थी. शंकराचार्य ने बताया कि यदि अयोध्या में 50 एकड़ का भूखंड मिल जाए तो वह यहां एक अच्छा इंजीनियरिंग कालेज स्थापित करना चाहेंगे.

शंकराचार्य के साथ मौजूद राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि उनका आग्रह है कि स्वामी जी दीपावली और अन्नकूट के अवसर पर अयोध्या में प्रवास करें और बातचीत से अयोध्या विवाद के समाधान का प्रयास करें. उनका हिन्दुओं के साथ ही मुस्लिम समाज में भी बड़ा आदर-सम्मान है.

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