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मैंने गाकर कश्मीर में फैलाई शांति, मुझे दो पद्म पुरस्कार: महमीत सैयद

कश्मीरी सिंगर महमीत सैयद ने दावा किया है कि उनकी गायकी से जम्मू-कश्मीर की फिजा में शांति स्थापित हुई है और इसके लिए उन्हें पद्म पुरस्कार मिलना चाहिए. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन.एन. वोहरा को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने दावा किया है कि उनके संगीत के 'जादू' का ही कमाल था कि युवा सड़कों पर नहीं उतरे और वादी में शांति बनी रही.

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महमीत सैयद
महमीत सैयद

कश्मीरी सिंगर महमीत सैयद ने दावा किया है कि उनकी गायकी से जम्मू-कश्मीर की फिजा में शांति स्थापित हुई है और इसके लिए उन्हें पद्म पुरस्कार मिलना चाहिए.

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पद्म पुरस्कारों के लिए जम्मू-कश्मीर की ओर से कई नेताओं और नौकरशाहों के नामों की सिफारिश की गई है. लेकिन घाटी की महिला सिंगर जैसे कैलाश मेहरा, दीपाली वतल, जमीला खान और जहां अरा जांबाज जैसे नामों को अनदेखा किया गया है.

महमीत सैयद इस बात से बेहद खफा हैं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन.एन. वोहरा को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने दावा किया है कि उनके संगीत के 'जादू' का ही कमाल था कि युवा सड़कों पर नहीं उतरे और वादी में शांति बनी रही.

अपनी चिट्ठी में उन्होंने लिखा है, 'मैं तीन एलबम लेकर आई, जिसने घाटी में एक संगीतमय क्रांति को जन्म दिया. इसने युवाओं की मानसिकता बदली और वे हिंसा की जगह संगीत को प्राथमिकता देने लगे.' महमीत ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा है कि उन्हें आतंकवादियों की ओर से धमकी मिली, जिसके बाद उन्हें जम्मू शिफ्ट होना पड़ा.

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हालांकि श्रीनगर के पूर्व डिप्टी कमिश्नर बसीर अहमद ने जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक सचिव को चिट्ठी लिखकर महमीत को पद्म पुरस्कार देने की सिफारिश जरूर की है. उन्होंने लिखा है, 'महमीत एक बेहद कंजरवेटिव फैमिली से आती हैं. उन्होंने तमाम मुश्किलों को झेलते हुए अपनी प्रतिभा को साबित किया है. उन्होंने अपने संगीत के जरिये बहादुरी से घाटी में शांति और प्रेम का संदेश फैलाया है.'

27 साल की महमीत ने 2004 में एक कश्मीरी एलबम से अपना करियर शुरू किया था. 2011 में मां की मौत के बाद वह संगीत को अलविदा कह चुकी हैं. हालांकि हाल ही में उन्हें एक हिंदी फिल्म में गाने का प्रस्ताव मिला था.

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