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'वंदे मातरम' को राष्ट्रगान और भगवा झंडे को राष्ट्रध्वज पर RSS ने जारी किया स्पष्टीकरण

‘वंदे मातरम’ बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की लिखी किताब आनंदमठ से ली गई कविता है. भारतीय स्वंतत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका बेहद अहम रही थी. साल 1950 में इसके दो छंद को ‘राष्ट्रगीत’ का आधिकारिक दर्जा दिया गया था.

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वास्तव में ‘वंदे मातरम’ ही राष्ट्रगान है
वास्तव में ‘वंदे मातरम’ ही राष्ट्रगान है

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के ‘भारत माता की जय’ के नारे से जुड़े बयान के बाद 'वंदे मातरम' और भगवा झंडे को लेकर बड़ा बयान सामने आया है. संघ के शीर्ष पदाधिकारी भैयाजी जोशी ने कहा है कि वास्तव में ‘वंदे मातरम’ ही राष्ट्रगान है और भगवा झंडे को राष्ट्रीयध्वज कहना भी गलत नहीं होगा. हालांकि इसे बाद संघ ने इस ओर स्पष्टीकरण भी जारी किया.

संघ के प्रवक्ता डॉ. मनमोहन वैद्य ने भैयाजी जोशी के बयान पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा, 'संघ के सरकार्यवाहक ने न तो राष्ट्र ध्वज में और न ही राष्ट्रगान में बदलाव की कोई बात की. उन्होंने बस राज्य और राष्ट्र में अंतर बतलाया. भैयाजी जोशी ने यह कहा कि तिरंगा को भारतीय गणतंत्री में राष्ट्रध्वज का दर्जा प्राप्त है, जबकि फगवा झंडा देश की प्रचीन सभ्यता का परिचायक है.'

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उन्होंने आगे कहा कि जन गण मन राज्य के विचार का सूचक है, जबकि वंदे मातरम हमारी सभ्यता की पहचान है.

वास्तविक अर्थों में 'वंदे मातरम' है राष्ट्रगान: भैयाजी जोशी
संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा, 'मौजूदा दौर में जन गण मन हमारा राष्ट्रगान है. इसका सम्मान किया जाना चाहिए. इससे दूसरी भावना पैदा होने का कोई कारण नहीं है.' उन्होंने शुक्रवार को दीनदयाल उपाध्याय अनुसंधान संस्थान में कहा कि संविधान के अनुसार यह हमारा राष्ट्रगान है. अगर कोई वास्तविक अर्थों पर विचार करता है तो वंदे मातरम हमारा राष्ट्रगान है.

दोनों गीतों का हो बराबर सम्मान
जोशी ने कहा कि 'जन गण मन' कब लिखा गया? इसे कुछ वक्त पहले लिखा गया था लेकिन 'जन गण मन' में राष्ट्र को ध्यान में रखकर भावनाएं व्यक्त की गई हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि 'वंदे मातरम' में जाहिर की गई भावनाएं राष्ट्र की विशेषता और बनावट को रेखांकित करती हैं. दोनों गीतों के बीच का अंतर है. दोनों का सम्मान किया जाना चाहिए.

'भगवा ध्वज को राष्ट्रध्वज मानना तिरंगे का अपमान नहीं'
भैयाजी जोशी ने आगे कहा कि तिरंगा देश का राष्ट्रध्वज है, लेकिन भगवा झंडे को भी राष्ट्रीय ध्वज कहना गलत नहीं होगा. उन्होंने कहा, '1930 मे तिरंगा पैदा हुआ, लेकिन क्या उसके पहले भारत की पहचान देनेवाला कोई ध्वज नहीं था? संविधान द्वारा उसे प्रतिक के रूप में लाया गया, जो संविधान के प्रति दायित्व मानता है उसने जन गण मन और तिरंगे का सम्मान करना चाहिए. लेकिन राष्ट्र की संकल्पना में भगवे धव्ज को राष्ट्रध्वज मानना ये आज के तिरंगे का अपमान नहीं है.'

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स्वतंत्रता आंदोलन में वंदे मातरम की बड़ी भूमिका
‘वंदे मातरम’ बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की लिखी किताब 'आनंदमठ' से ली गई कविता है. भारतीय स्वंतत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका बेहद अहम रही थी. साल 1950 में इसके दो छंद को ‘राष्ट्रगीत’ का आधिकारिक दर्जा दिया गया था.

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