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वाणी न्यास बाल साहित्य फेलोशिप लावण्या कार्तिक को

वाणी न्यास की ओर से दी जाने वाली वाणी न्यास बाल साहित्य फेलोशिप लावण्या कार्तिक को देने का फैसला किया गया है. 'बाल साहित्य फेलोशिप' के अंतर्गत वाणी न्यास व ‘बाल साहित्य शोधवृत्ति’ के निर्णायक मंडल गुलजार और पारो आनंद ने यह फैसला लिया है.

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Lavanya Karthik
Lavanya Karthik

वाणी न्यास की ओर से दी जाने वाली वाणी न्यास बाल साहित्य फेलोशिप लावण्या कार्तिक को देने का फैसला किया गया है. 'बाल साहित्य फेलोशिप' के अंतर्गत वाणी न्यास व ‘बाल साहित्य शोधवृत्ति’ के निर्णायक मंडल गुलजार और पारो आनंद ने यह फैसला लिया है. इस फेलोशिप में वाणी प्रकाशन के सहयोगी संगठन जर्मन बुक ऑफिस और तक्षशिला एजुकेशन सोसाइटी हैं.

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लावण्या कार्तिक मुंबई में रहती हैं और बाल साहित्य की लेखिका और चित्रकार हैं. बाल साहित्य के अलावा वह विज्ञान से प्रेरित कथा साहित्य भी लिखती हैं. लावण्या कार्तिक की ‘क्या देखती है अनु’ बाल पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है, जो 11 भाषाओं में उपलब्ध है. इसके अतिरिक्त एक चित्र ‘एनडेंजर्ड एनिमल्स ऑफ इंडिया’ का चयन मई 2014 में सिंगापुर में आयोजित एशियन फेस्टिवल ऑफ चिल्ड्रेंस कॉन्टेंट में प्रदर्शित हुआ है.

लावण्या कार्तिक की बचपन से ही किताबों में रुचि रही है. मारियो मिरांडा, आरके लक्ष्मण और प्राण जैसे कलाकारों के कार्टून देखकर लावण्या कार्तिक की चित्रांकन में रूचि बढ़ी. इनके अलावा पुलक बिस्वास, अतनु रॉय, बद्री नारायण, मंजुला पद्मनाभन और बिंदिया थापर जैसी अभिव्यक्तियों से भी लावण्या बहुत प्रेरित रही हैं. साथ ही क्रिस रिडैल, पोसी सिमंड्स, रेयमंड्स ब्रिग्स और एलिसन बखडेल जैसे लेखक व चित्रकार उनको प्रेरित करते रहे हैं.

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लावण्या की कला पर उनकी बेटी का गहरा प्रभाव है. उनका मानना है कि एक बच्चे को बड़ा करना हमें फिर एक बार बच्चा बनने का मौका देता है. कथाकार होने के नाते उन्हें भारतीय होने पर गर्व है. लावण्या का मानना है कि हमारी जड़े ही हमारी कला को आगे बढ़ाती हैं.

लावण्या हस्तकला में माहिर हैं. अपने चित्रों में नई नई तकनीक और रंगों का इस्तेमाल करना उन्हें बहुत अच्छा लगता है. लावण्या के मुताबिक, भारत में बाल साहित्य का प्रकाशन एक रोमांचक और महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है.

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