जेल में बंद गुजरात के आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा की चिट्ठी से हुए खुलासों की धमक संसद में भी साफ सुनी जा रही है. राज्यसभा में वंजारा के मसले पर खूब हो-हंगामा हुआ, जिससे सदन की कार्यवाही में बाधा आई. कुछ पार्टियों ने इस मसले पर वाकआउट भी किया.
वंजारा के मसले पर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर कई पार्टियां शोर-शराबे पर उतर आईं. जब स्पीकर ने चर्चा की अनुमति नहीं दी, तो जेडीयू, एसपी व वामदलों ने राज्यसभा से वाकआउट कर दिया. बहरहाल, यह मसला थमता नजर नहीं आ रहा है.
गौरतलब है कि मंगलवार को डीजी वंजारा ने मोदी सरकार और उनके करीबी अमित शाह से नाराजगी जताते हुए 10 पन्नों चिट्ठी लिखकर इंडियन पुलिस सर्विस से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि गुजरात सरकार ने वंजारा का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है. बताया जा रहा है कि गुजरात सरकार वंजारा के इस्तीफे को गृह मंत्रालय के पास नहीं भेजेगी.
वंजारा के 'लेटर बम' से मचा बवाल
मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए वंजारा ने लिखा कि वे और उनके साथ काम करने वाले पुलिस अधिकारी संकट के दौरान एक बांध की तरह गुजरात सरकार के साथ खड़े रहे, लेकिन उनके संकट के दौरान सरकार ने निराश किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात सरकार ने जेल में बंद पुलिस अधिकारियों की कोई मदद नहीं की. मोदी सरकार सीबीआई से सिर्फ अपनी चमड़ी बचाने में जुटी है और मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठा रही है, जबकि अमित शाह की गिरफ्तारी के बाद सरकार तुरंत हरकत में आ गई थी.