केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति भी इतिहास न बनती, उसे भी हम अंग्रेजों की दृष्टि से देखते. वीर सावरकर ने ही 1857 को पहला स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया था.
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में स्कंदगुप्त पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि अब वामपंथी या ब्रिटिश इतिहासकार पर इल्जाम लगाने की जरूरत नहीं है, जिन्होंने एक अलग इतिहास लिखा. देश को सही तथ्य बताने का यह एक अच्छा समय है. हमें अपने खुद के इतिहास को तथ्यों के साथ लिखने की आवश्यकता है, जो लंबे समय तक स्थायी और स्थिर रहेगा.
शाह ने कहा कि महाभारत काल के 2000 साल बाद 800 साल का कालखंड दो प्रमुख शासन व्यवस्थाओं के कारण जाना गया. मौर्य वंश और गुप्त वंश. दोनों वंशों ने भारतीय संस्कृति को तब के विश्व के अंदर सर्वोच्च स्थान पर प्रस्थापित किया.
Union Home Minister Amit Shah in Varanasi: Time has come for the historians of our country to write history with a new point of view. Don't get into arguments with those who wrote the history earlier, whatever they have written let it be, we should find the truth & write it. https://t.co/KEdx4PZYnv
— ANI (@ANI) October 17, 2019
अखंड भारत की रचना
शाह ने कहा गुप्त साम्राज्य की सबसे बड़ी सफलता ये रही कि हमेशा के लिए वैशाली और मगध साम्राज्य के टकराव को समाप्त कर एक अखंड भारत के रचना की दिशा में गुप्त साम्राज्य आगे बढ़ा था. अमित शाह का कहना है कि चंद्रगुप्त विक्रमादित्य को इतिहास में बहुत प्रसिद्धि मिली है. लेकिन उनके साथ इतिहास में बहुत अन्याय भी हुआ है. उनके पराक्रम की जितनी प्रसंशा होनी थी, उतनी शायद नहीं हुई.
अमित शाह ने कहा कि पं. मदन मोहन मालवीय जी ने जब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की तब उनकी सोच जो भी रही हो, लेकिन स्थापना के इतने वर्षों बाद भी ये विश्वविद्यालय हिन्दू संस्कृति को अक्षुण रखने के लिए अडिग खड़ा है और हिंदू संस्कृति को आगे बढ़ा रहा है.
शाह ने कहा कि आज देश स्वतंत्र है, हमारे इतिहास का संशोधन करके संदर्भ ग्रन्थ बनाकर इतिहास का पुन: लेखन करके लिखें. मुझे भरोसा है कि अपने लिख इतिहास में सत्य का तत्व है. इसलिए वो जरूर प्रसिद्ध होगा