भाजपा सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर से परिवारवाद पर सवाल किया है. खुद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर मेरे नाम के आगे गांधी नहीं लगा होता तो क्या मैं महज 29 साल की उम्र में सांसद बन सकता था?
सरनेम का कोई महत्व न हो
उन्होंने कहा कि मैं ऐसे भारत को देखना चाहता हूं जहां सरनेम का कोई महत्व न रहे. ऐसा भारत जहां वरुण दत्ता, वरुण घोष या फिर वरुण खान हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. ऐसा देश जहां सभी को समान अवसर मिले.
गांधी सरनेम का फायदा मिलना स्वीकारा
वरुण गांधी इससे पहले भी कई बार गांधी सरनेम पर बयान दे चुके हैं. उन्होंने खुले मंच से कई बार यह स्वीकार भी किया है कि गांधी सरनेम होने का उन्हें फायदा मिला है. वरुण कई बार कह चुके हैं कि देश को युवाओं की जरूरत है, लेकिन परिवारवाद की वजह से देश की लोकसभा बूढ़ी हो रही है. दुनिया के अन्य देशों का जिक्र करते हुए वरुण कहते रहे हैं कि अब हमारे देश में युवाओं को बिना सरनेम देखे उनकी योग्यता के आधार पर मौका मिलना चाहिए.
राइट टू रिकॉल की पैरवी की
सुल्तानपुर से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने गुवाहाटी में आयोजित कार्यक्रम में एक और बड़ा बयान दिया था. राइट टू रिकॉल की पैरवी करते हुए वरुण ने कहा कि नेताओं के काम न करने की सूरत में उन्हें वापस बुलाने का अधिकार भी मिलना चाहिए.