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राहुल के ही जिले से चुनाव लड़ेंगे वरुण गांधी!

उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली के बाद अब सुल्तानपुर में भी गांधी परिवार दस्तक देने वाला है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने युवा चेहरे और राष्ट्रीय महासचिव वरुण गांधी को सुल्तानपुर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाने का मन बना चुकी है.

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वरुण गांधी
वरुण गांधी

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उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली के बाद अब सुल्तानपुर में भी गांधी परिवार दस्तक देने वाला है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने युवा चेहरे और राष्ट्रीय महासचिव वरुण गांधी को सुल्तानपुर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाने का मन बना चुकी है. भाजपा के सूत्र बताते हैं कि इसके लिए पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की हरी झंडी भी मिल चुकी है, लिहाजा मई में होने वाली जनसभा को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां जोरों पर हैं.

सुल्तानपुर से वरुण को चुनाव लड़ाने के लिए पिछले कई महीनों से कसरत चल रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए 16 मई को सुल्तानपुर में वरुण की एक जनसभा भी रखी गई है. पूरे शहर को बैनर एवं होर्डिग्स से सजाया जा रहा है. होर्डिग्स पर साफ लिखा है, 'नाम वही जो काम कराए, सुल्तानपुर का सम्मान बढ़ाए'.

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राम मंदिर आंदोलन के समय सुल्तानपुर संसदीय सीट भाजपा के कब्जे में थी, लेकिन पिछले लगभग डेढ़ दशक से इस सीट पर भाजपा को पराजय नसीब हुई है. वरुण के सहारे पार्टी अब यह सीट दोबारा अपने कब्जे में करने की तैयारी में जुटी हुई है.

सुल्तानपुर संसदीय सीट पर समीकरणों के बारे में पूछे जाने पर स्थानीय पत्रकार सुनील शर्मा ने कहा, "वरुण के आने से सभी का गणित विफल हो जाएगा. वरुण को कट्टर हिन्दूवादी नेता के रूप में जाना जाता है और इस बात की पूरी संभावना है कि उनके आने के बाद इस सीट पर मुकाबला सीधे तौर पर हिन्दू बनाम मुसलमान का होगा."

भाजपा के सूत्र बताते हैं कि एक ओर जहां वरुण को यहां से लड़ाने की तैयारी चल रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर के दो दबंग और आपराधिक छवि के नेताओं-चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू तथा यशभद्र सिंह उर्फ मोनू -को भी भाजपा में शामिल कराने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. पिछले विधानसभा चुनाव में सोनू-मोनू ने पीस पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा था.

भाजपा के रणनीतिकार बताते हैं कि सोनू-मोनू चुनाव जीतने में तो कामयाब नहीं हुए थे, लेकिन उन्होंने ठीक-ठाक वोट हासिल किए थे. सोनू ने सुल्तानपुर विधानसभा क्षेत्र से करीब 35 हजार वोट हासिल किए थे, जबकि मोनू ने इशौली विधानसभा क्षेत्र से करीब 32 हजार वोट हासिल किए थे.

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सूत्रों के अनुसार, सोनू-मोनू को भाजपा में शामिल कराने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे वरुण के साथ क्षत्रिय मतदाताओं का जुड़ाव होगा और कम से कम इन दोनों विधानसभाओं में वरुण को लाभ मिलेगा.

सोनू-मोनू ने सबसे पहले सपा से चुनाव लड़ा था. बाद में वह बसपा में चले गए. मायावती ने विधानसभा में टिकट नहीं दिया तो उन्होंने पीस पार्टी का दामन थाम लिया.

सूत्रों का कहना है कि सोनू-मोनू को भाजपा में लाने के लिए राजनाथ खुद दिलचस्पी ले रहे हैं. वह इन दोनों को पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ही पार्टी में शामिल कराने वाले थे, लेकिन कुशवाहा प्रकरण की वजह से ऐसा नहीं हो सका.

वहीं, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना कि सोनू-मोनू को भाजपा में शामिल करने के दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं, क्योंकि आपराधिक रिकॉर्ड वाले दोनों नेताओं की छवि आम जनता के बीच ठीक नहीं है. यदि दांव उल्टा पड़ गया तो वरुण की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है.

सुल्तानपुर में वरुण को उतारने के बारे में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा, "16 मई को सुल्तानपुर में रैली आयोजित है, जिसमें पार्टी महासचिव वरुण गांधी और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी मौजूद रहेंगे. पार्टी की संसदीय समिति तय करेगी कि किसे कहां से चुनाव लड़ना है.

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वहीं, सोनू-मोनू को पार्टी में शामिल किए जाने सम्बंधित जानकारी से उन्होंने इंकार किया.

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