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वसुंधरा राजे ने नितिन गडकरी को लिखी चिट्ठी, कहा- मनरेगा से नहीं हो रहा है फायदा

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने इसमें लिखा है कि मनरेगा कानून से फायदा नहीं हो रहा है और इस पर बहस होनी चाहिए.

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वसुंधरा राजे
वसुंधरा राजे

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने इसमें लिखा है कि मनरेगा कानून से फायदा नहीं हो रहा है और इस पर बहस होनी चाहिए.

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वसुंधरा राजे के चिट्ठी का हिंदी अनुवादः

मैं शासन प्रणाली के एक महत्वपूर्ण पहलू, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी परियोजना (स्कीम) कानून, के संदर्भ में आपको यह पत्र लिख रही हूं.

मुद्दा यह है कि क्यों रोजगार गारंटी एक कानून से ही मिलनी चाहिए और क्यों इस रोजगार की उत्पत्ति, बल्कि गारंटी, एक स्कीम सुनिश्चित नहीं कर सकता है. इस कानून के शायद ही कोई फायदे हैं, सिवाय इसके कि विभिन्न प्रकार की संस्थाओं को इसके जरिये मुकदमेबाजी का मौका मिल सकता है.

इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम होना चाहिए या राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, यह बहस और चर्चा का विषय है. दोनों परिस्थिति में स्कीम के केंद्र बिंदु होने चाहिए- दीर्घकालिक संपत्ति और आजीविका का निर्माण. इस अहम मुद्दे को ध्यान में रखकर मैं निम्नलिखित बिंदुओं की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहती हूं, जिन पर अत्यावश्यक रूप से ध्यान देने की जरूरत है.

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1. विभागीय कामों के जरिये उत्पन्न हुए रोजगार की गिनती नरेगा में होनी चाहिए, इस आधार पर कि केवल सबसे जरूरतमंद और निर्धन लोग ही कठिन शारीरिक श्रम की तलाश में होते हैं. शहरी व ग्रामीण इलाकों में ऐसे कार्यों की गिनती होनी चाहिए 'प्रच्छन्न मांग की पूर्ति के लिए मुहैया कराए गए रोजगार' के तहत. इससे साल में कार्यान्वित कराए जाने वाले कार्यों की संख्या के संदर्भ में विभागीय क्षमता भी बढ़ेगी.

2. कार्य कुशलता और उन्नतीकरण पर किए जानेवाले खर्चे का प्रावधान भी नरेगा में होना चाहिए. इस तरह नरेगा को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ जोड़ा जा सकता है और दोनों स्कीमें एक-दूसरे से लाभान्वित हो सकती हैं.

3. श्रम और सामग्री के 60:40 अनुपात को जिले स्तर पर माना जाना चाहिए. इससे विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुरूप अलग-अलग कार्यों को शुरू किया जा सकेगा.

4. राज्य रोजगार गारंटी परिषद को पूरी आजादी होनी चाहिए कि वह स्थानीय जरूरतों के अनुसार किसी भी कार्य को इस स्कीम में सम्मिलित कर सके.

आशा है कि ऊपर दिए मेरे सुझावों को सकारात्मक रूप से लिया जाएगा और स्कीम को एक नया प्रारूप देने का सुधारक कार्य जल्द से जल्द प्रारंभ किया जाएगा.

नितिन गडकरी को लिखी गई चिट्ठीः

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