सरकार ने उड़ीसा में वेदांता रिसोर्सेज की 1.7 अरब डालर की बाक्साइट खनन परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी देने से इंकार कर दिया. इस प्रकार के मामलों की मंजूरी देने के लिये सरकार द्वारा गठित समिति की सिफारिश के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.
वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने परियोजना को मंजूरी नहीं देने का कारण कंपनी द्वारा पर्यावरण संरक्षण कानून, वन संरक्षण कानून तथा वन अधिकार कानून का उल्लंघन बताया.
उन्होंने कहा, ‘समिति की रपट भावनात्मक, राजनीतिक अथवा पक्षपात पूर्ण नहीं है और मैने यह निर्णय पूरी तरह से वैध एवं स्वीकृत तरीके से किया है.’ गौरतलब है कि सरकार का यह निर्णय वन सलाहकार समिति (एफएसी) द्वारा पर्यावरण मंत्री को बाक्साइट खनन परियोजना की रपट सौंपने के बाद आया है. इससे पहले एन सी सक्सेना समिति ने भी नियामगिरी की पहाड़ियों पर बाक्साइट खनन परियोजना पर रोक लगाने की मांग की थी.
{mospagebreak}सक्सेना समिति की रपट में वर्ष 2008 में उड़ीसा खनन परियोजना की ओर से वन कानून के उल्लंघन करने की बात कही गयी थी. इसमें वन अधिकार कानून के उल्लंघन की भा जिक्र किया गया था.
समिति ने बड़े पैमाने पर कानून के उल्लंघन का हवाला देते हुए परियोजना को रद्द करने की सिफारिश की और कहा, ‘इस परियोजना के लिए ग्राम सभा से लिया गया सहमति प्रमाणपत्र भूठा था.’ पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि उड़ीसा सरकार ने वन कानून का उल्लंघन किया है जबकि वेदांता रिसोर्सेज ने पर्यावरण संरक्षण कानून (ईपीए) का अनदेखा किया.
उन्होंने कहा कि हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि प्रस्तावित परियोजना के लिए वन एवं पर्यावरण कानून तोड़े जाने को लेकर कौन सी कार्रवाई की जाए.
रमेश ने कहा कि उन्होंने उड़ीसा सरकार से कोई पक्षपात नहीं किया है. मंत्रालय ने सोमवार को ही राज्य की महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को कल सैद्धांतिक मंजूरी दी.
उन्होंने कहा, ‘मैंने स्वयं सिंचाई परियोजना को मंजूरी दी है जिसमें 1500 हैक्टेयर वन भूमि शामिल है. वहीं पर्यावरण कानून के उल्लंघन के कारण वेदांता की खनन परियोजना को रोक दिया गया.
इस बीच, सरकार द्वारा वेदांता परियोजना को मंजूरी नहीं दिये जाने से समूह की कंपनी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज का शेयर भाव बंबई स्टाक एक्सचेंज में 4.22 फीसद घटकर 152 रुपये प्रति इक्विटी शेयर पर आ गया.