उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में शुक्रवार को पुलिस की एक मॉक ड्रिल में दंगाइयों के हाथों में भगवा झंडा देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इलाहाबाद पुलिस के इस कारनामे से नाराज विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने एसएसपी केएस इमैनुअल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
नाराज कार्यकर्ताओं ने शनिवार को आईजी कार्यालय का घेराव कर नारेबाजी की. स्थिति बिगड़ती देख आईजी ने सबको वार्ता के लिए बुलाया. वीएचपी कार्यकर्ताओं ने आईजी से इलाहाबाद के एसएसपी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के साथ ही सामूहिक रूप से माफी मांगने की मांग की. यही नहीं, प्रदर्शन कर रहे लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से माफी मांगने की मांग की.
कार्यकर्ताओं का नेतृत्व कर रहे वीएचपी के प्रदेश उपाध्यक्ष पुनीत वर्मा ने कहा कि एसएसपी ने हिंदूओं की आस्था और विश्वास के प्रतीक भगवा झंडे को दंगाइयों के हाथों में देकर उसका अपमान किया है. वर्मा ने कहा कि एसएसपी ने जल्दी माफी नहीं मांगी तो वीएचपी व्यापक आंदोलन करने पर बाध्य करेगी. वहीं, समाजवादी पार्टी ने सफाई देते हुए कहा कि मामला इतना गंभीर नहीं है.
BJP नेता ने कहा- पुलिसकर्मियों को मिले कड़ी सजा
मॉक ड्रिल के दौरान मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि दंगाइयों का रोल निभा रहे लोग पुलिस से बेहतर काम कर रहे थे. मॉक ड्रिल के दौरान भी पुलिस न तो आंसू गैस के गोले छोड़ सकी और न ही समय पर पानी की बौछार कर सकी. कौशांबी से बीजेपी के सांसद विनोद सोनकर ने कहा कि इस मामले से जुड़े सभी पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा दी जाए, क्योंकि उन्होंने काम सही ढंग से नहीं किया.
उन्होंने कहा, 'यह यूपी की समाजवादी पार्टी सरकार की साजिश है. उसी के इशारे पर पुलिस ने भगवा झंडे का इस्तेमाल किया है. मैं इस मुद्दे को संसद में उठाऊंगा.'
'हिंदुओं की आस्था पर चोट है'
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष आचार्य नरेंद्र गिरी ने कहा, 'इस मामले में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को हटा दिया जाना चाहिए. यह न सिर्फ साधु समाज का अपमान है बल्कि हिंदू धर्म की आस्था पर भी चोट करता है.'