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वंदे मातरम से होता है मां का गुणगान, गाने में क्या है समस्या: वेंकैया नायडू

वंदे मातरम न गाने वालों को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि जिस गीत ने आजादी की लड़ाई के दौरान लोगों को आंदोलन के लिए प्रेरित किया, उसे गाने में समस्या क्या है. नाडयू ने कहा कि वंदे मातरम गाने का मतलब अपनी मां का गुणगान करना ही है.

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उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू
उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू

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वंदे मातरम न गाने वालों को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि जिस गीत ने आजादी की लड़ाई के दौरान लोगों को आंदोलन के लिए प्रेरित किया, उसे गाने में समस्या क्या है. नाडयू ने कहा कि वंदे मातरम गाने का मतलब अपनी मां का गुणगान करना ही है.

राष्ट्रवादी कवि सुब्रमण्यम भारती की 96वीं जयंती की स्मृति में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि नायडू ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की अनुयायी भगिनी निवेदिता ने लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला था. प्रार्थना के गीत के तौर पर वंदे मातरम की शुरुआत कराकर उन्होंने छात्राओं में राष्ट्रवादी भावना का संचार करने की कोशिश की थी. उप-राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने भगिनी निवेदिता स्कूल में प्रार्थना के गीत के रूप में वंदे मातरम की शुरुआत कराई. अब कुछ लोगों को वंदे मातरम से भी समस्या है. वंदे मातरम क्या है माता वंदनम, अम्मा वणक्कम - यही है वंदे मातरम.

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नायडू ने कहा कई सालों के बाद अब हम चर्चा कर रहे हैं कि वंदे मातरम अच्छा या है या नहीं, राष्ट्रवाद और देशभक्ति अच्छी है कि नहीं. हम इन सब चीजों के बारे में बात करने से भी हिचकते हैं. भारती की जयंती कल है. भारती को भावभानी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नायडू ने कहा कि सुधारवादी कवि चाहते थे कि भारतीय अपनी धरोहर पर गर्व करें.  उप-राष्ट्रपति ने कहा कि भगिनी निवेदिता की तरह भारती को भी वंदे मातरम ने प्रेरित किया था और उन्होंने राष्ट्र गीत की भावना का प्रसार किया था. स्वच्छता के मुद्दे पर भारती और महात्मा गांधी के विचारों को एक जैसा बताते हुए नायडू ने कहा, हम देख रहे हैं कि स्वच्छ भारत में फिर से साफ-सफाई पर जोर है.

उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर की तरह भारती भी चाहते थे कि संकीर्ण घरेलू दीवारें टूटे और जाति व्यवस्था खत्म हो. नायडू ने कहा कि हम जाति, वर्ग, लिंग, क्षेत्र एवं धर्म से परे एक देश और एक लोग हैं. भारत एक है. कोई ऊंचा या नीचा नहीं है. उन्होंने कहा कि अगड़ा, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक जैसी श्रेणियां अन्य उद्देश्यों से बनाई गई हैं, जिसका इस्तेमाल राजनेता अपने हित में कर रहे हैं.

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