रफ्तार का ऐसा भी लुटेरा है, जो 50 सेकेंड में गायब कर सकता है आपकी कार. अगर आप लग्जरी गाड़ी के मालिक हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि सिर्फ 50 सेकेंड में सड़क से गायब हो सकती है आपकी कार. आप खुद सौंपेंगे अपनी कार की चाभी, क्योंकि आपके सामने होगा रफ्तार का लुटेरा.यह लुटेरा अब तक 500 से ज्यादा गाड़ियां चुरा चुका है.
बंदूक की नोंक पर लूट
दिल्ली का सबसे खतरनाक कार जैकर कार चुराता नहीं बल्कि बंदूक की नोंक पर लूटता है मंहगी गाडियां. 18 जनवरी 2009 को दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में एक बड़े व्यापारी पच्चीस लाख की कीमत की अपनी नयी होंडा अकार्ड से उतरकर अपने मिलने वाले के घर में गये. ड्राईवर ने अभी गाड़ी पार्क की ही थी कि पीछे से एक होंडा सिटी बगल में आकर रुकी. गन प्वाईंट पर एक दो, दस नहीं बल्कि पांच सौ से ज्यादा गाडियां लूटने वाला मनोज बक्करवाला अचानक आ धमका.
खौफ का दूसरा नाम बक्करवाला
मनोज बक्करवाला दिल्ली की सड़कों पर खौफ का दूसरा नाम है. एक खतरनाक साये की तरह मनोज बक्करवाला दिल्ली की सड़कों पर लग्जरी गाडियों का पीछा करता है और किसी भी पल बंदूक की नोंक पर ऐसी किसी भी गाड़ी को लूट सकता है. नई पुरानी हर तरह की लग्जरी गाड़ियां उड़ाना उसका शौक बन चुका था. पुलिस की सिरदर्दी ये कि बक्करवाला कभी सुराग़ नहीं छोड़ता. बड़ी मुश्किल से पुलिस के हाथ लगा एक ऐसा सुराग जो इसकी निजी जिंदगी से जुड़ा था.
बेशकीमती गाडि़यों पर नजर
दिल्ली के बाजार में जैसे ही कोई नयी बेशकीमती गाड़ी उतारी गयी वैसे ही कार जैकर मनोज बक्करवाला ने उसको हथियाने की साजिश शुरू कर दी. दिल्ली के किस पॉश इलाके में कितनी लग्जरी गाडियां हैं गाडियों के मालिक कहां आते-जाते हैं, और ये गाडियां कहां पार्क होती हैं, इन जानकारियों को जुटाने में बक्करवाले का शायद ही कोई सानी हो. मिसाल के तौर पर कुछ हफ्ते पहले यानी 15 जून 2009 को बक्करवाला के गैंग ने गुडगांव की ओर रुख किया और पहले से तय की साजिश के तहत शोरूम कंडीशन की नयी पजेरों गाड़ी को बंदूक की नोंक पर सरेआम लूट लिया.
गैंग को पुलिस का खौफ नहीं
दिल्ली की सड़कों से सरेआम मंहगी गाडी लूटने की हवस ने बक्करवाला के गैंग को बिलकुल बेखौफ कर दिया. इतना बेखौफ कि जिस भी गाड़ी पर नजर गड़ी उसकी चाबी बंदूक की नोंक पर पांच मिनट में उसके पास आ गयी. जिस तरीके पर बंदूक की नोंक पर बक्करवाला गैंग गाड़ी लूटता है उससे कई गाडी मालिक इतनी दहशत में आ जाते थे कि उनकों रपट लिखाने में भी डर लगता है. लूटे गये कुछ लोगों ने तो इस बात का शुक्र मनाया कि गाड़ी भले ही लूट गयी हो लेकिन भला हुआ कि उन्हें गोली नहीं मारी गयी.{mospagebreak}
पुलिस के लिए परेशानी का सबब
उधर पुलिस भी दिल्ली में हो रहे इस नये किस्म के जुर्म से सकते में थी. जुर्म और दहशत के इस नये बादशाह पर जाल फेंकने के लिये पुलिस के आला-अफसरों ने ताबड़तोड़ बैठके शुरू कर दी. खासतौर पर दिल्ली पुलिस की एलीट डिवीजन स्पेशल सेल को मनोज बक्करवाला को पकड़ने के जिम्मेदारी दी गयी. दिल्ली से निकलती महंगी लग्जरी गाड़ियों पर पुलिस की निगरानी बढ़ा दी गयी. लेकिन कारों का सुपर जैकर जुर्म को अंजाम देने के बाद मौके पर अपना एक भी निशान नहीं छोड़ता है. वो इतना शातिर है कि उसने मोबाइल फोन से परहेज किया और अपने गिरोह को भी फोन पर कोई भी बात करने की पाबंदी लगा दी.
हाथ आया एक निजी सुराग
बक्करवाला और भी बेखौफ हो गया. दिल्ली तो दिल्ली उसका गिरोह चंड़ीगढ़ में बंदूक की नोंक पर कार लूटने लगा. 22 जून 2009 को चंडीगढ़ में पिस्तौल दिखाकर बक्करवाला एक नयी होंडा अकार्ड उडा कर ले गया. दहशत के इस साये का पीछा करते-करते बक्करवाला का एक सुराग पुलिस के हाथ आया. यह सुराग था मॉडल जैसी हसीन सी दिखने वाली उसकी माशूका का, जो इस खतरनाक गैंगस्टर के साथ जीने मरने की कसमें खा रही थी.
महबूबा के साथ अक्सर मुलाकातें
पुलिस को पता लगा कि अपनी हसीन महबूबा के साथ बक्करवाला डिस्कोथेक में थिरक रहा है. पुलिस को ये भी पता लगा कि बक्करवाला अपनी महबूबा से अक्सर मुलाकात करता रहता है. पुलिस के मंडराते खतरे के बावजूद वो अपनी महबूबा को लांग ड्राइव पर ले जाता है. इधर पुलिस उसकी महबूबा पर नजर गड़ाए थी, लेकिन पुलिस के जासूस को जांच के इस सिरे को पकड़ते ही एक सनसनीखेज खबर मिली. दिल्ली के इस खतरनाक गैंग में शामिल हो गया था दिल्ली का ही एक वर्दीवाला गुंडा और इस पुलिसवाले के तार जुड़े थे पंजाब पुलिस के एक और वर्दीवाले के साथ. इन दागी वर्दीवालों की बदौलत मनोज बक्करवाला ने अपना नेटवर्क दिल्ली के बाहर दूसरे कई राज्यों में फैला दिया था.