आसाराम का विवादों से नाता पुराना है. यह पहली बार नहीं है जब उन पर इस तरह के इल्जाम लगे हैं. लेकिन गिरफ्तारी जरूर पहली बार हुई है. 2008 में उनके अहमदाबाद आश्रम में दो बच्चों की मौत को लेकर भी वे विवादों में घिर गए थे. बच्चों की मौत का सच अब तक सामने नहीं आया है. ताजा मामले में आसाराम की गिरफ्तारी के बाद अब उम्मीद जगी है कि बच्चों की मौत के सिलसिले में भी सच सामने आएगा.
आसाराम के गुरुकुल में 2008 में हुई दो बच्चे दिपेश और अभिषेक कि मौत को लेकर अब भी रहस्य बना हुआ है. एक ओर जहां परिवार बच्चों की मौत के लिए आसाराम को जिम्मेदार ठहरा रहा है, तो वहीं गुजरात सरकार कि जांच के ठीले रवैये को लेकर भी सवाल खडे़ हो रहे हैं.
3 जुलाई 2008 को आसाराम के अहमदाबाद आश्रम में रहने वाले दो भाई दिपेश ओर अभिषेक वाघेला अचानक गायब हो गए तो हर कोई हैरान था. इसके दो दिन बाद 5 जुलाई 2008 को दोनों बच्चों की लाश आश्रम के पीछे बहने वाली साबरमती नदी के किनारे मिली थी. बच्चे आसाराम के इसी गुरुकुल में पढाई करते थे.
परिवार ने आरोप लगाया कि आसाराम के आश्रम में काला जादू होता है और काले जादू के लिए बच्चों को मौत के घाट उतारा गया था. जिसके बाद आसाराम के खिलाफ अहमदाबाद मे लोग सड़कों पर उतर आये थे, लेकिन पीड़ित वाघेला परिवार को जांच के नाम पर गुजरात सरकार ने एक रिटायर्ड जज डी.के. त्रिवेदी के कमीशन का गठन किया और मामले की जांच अब तक चल रही थी. कमीशन ने दो महीने पहले ही अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
परिवारवालों का आरोप है कि आज तक ना तो कमीशन ने और ना ही सरकार ने ये रिपोर्ट उन्हें दी है. यही नहीं परिवारवालों को इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी तक नहीं दी गई है. परिवारवालों का तो यहां तक आरोप है कि गुजरात की मोदी सरकार ने आसाराम के खिलाफ कानूनी कार्यवाही ना करनी पडे़ इसलिए जांच में भी लीपापोती की है.
बच्चों की मौत को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार ने आसाराम को बचाने की कोशिश की थी. यही वजह है कि बार-बार मांग के बावजूद मोदी सरकार ने डी.के. त्रिवेदी कमीशन कि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है.
परिवार बार-बार अपने बच्चों की मौत के लिए आसाराम और उसके बेटे नारायन साई को जिम्मेदार ठहरा रहा है. परिवार का कहना है कि उनके बच्चों की मौत काले जादू के लिए हुई है. हालांकि अब तक डी.के. त्रिवेदी कमीशन की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है, ऐसे में गुजरात सरकार की मंशा पर भी कई सवाल खडे़ होते हैं.