न्यूयॉर्क में महात्मा गांधी की बहुमूल्य वस्तुओं की नीलामी तय समय पर ही हुई. पांच धरोहरों को नीलाम करने वाले अमेरिकी पर ना तो भारत सरकार की गुजारिश का असर पड़ा और ना ही विवादों का. लेकिन बापू की वस्तुएं भारत सरकार भले ही ना मिली हों, इन्हें एक भारतीय ने ही हासिल किया.
केंद्र सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अमूल्य धरोहरों की नीलामी नहीं रुकी. न्यूयॉर्क में उनकी पांच बहुमूल्य वस्तुएं नीलाम कर दी गईं लेकिन राहत की बात यह है कि बापू के इन धरोहरों का मालिक एक भारतीय ही बना.
उद्योगपति विजय माल्या ने अमेरिका में हुई नीलामी में 18 लाख यूएस डॉलर यानी करीब नौ करोड़ रुपये चुकाकर बापू की बहुमूल्य वस्तुएं अपने नाम कर लीं. ये धरोहर हैं, बापू का गोल रिम वाला चश्मा, पॉकेट वॉच, लेदर की चप्पल, प्लेट और बाउल.
महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी ने कहा कि इन वस्तुओं के भारत आने के बाद मैं खुश हूं लेकिन सरकार ने जा किया वो निराशाजनक रहा.
हालांकि इस नीलामी से पहले लंबा ड्रामा चला. भारत सरकार ने बापू की वस्तुओं को नीलाम कर रहे जेम्स ओटिस से गुजारिश की थी कि नीलामी रोक दी जाए. लेकिन ओटिस ने मोलभाव की कोई कसर नहीं छोड़ी.
भारतीय राजनयिक के जरिए भारत सरकार के सामने ओटिस ने अंत में एक और ऊटपटांग शर्त रखी. शर्त थी कि सरकार अपने रक्षा बजट में कटौती करे और गरीबों को स्वास्थ्य की सुविधा दे लेकिन अब सवाल उठने लगा है कि कहीं ये स्टंट तो नहीं था, जिसकी आड़ में ओटिस नीलामी से मोटी कमाई करना चाहते थे.