भगोड़ा घोषित किए गए शराब कारोबारी विजय माल्या अपने प्रत्यर्पण का विरोध कर सकते हैं. आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताकर माल्या ब्रिटेन से भारत आने को चुनौती दे सकते हैं. ब्रिटेन के कानूनी विशेषज्ञ ने ऐसा होने की संभावना जताई है. यानी माल्या को भारत वापस लाने की योजना फेल भी हो सकती है.
ब्रिटेन के प्रत्यपर्ण अधिवक्ता संगठन के सदस्य जविंदरा नखवाल ने कहा कि विजय माल्या को भारत वापस ले जाने के लिए भारतीय अधिकारियों को कुछ सबूत पेश करने होंगे. इनमें वो सबूत शामिल होंगे जो माल्या के खिलाफ आपराधिक आरोप साबित करते नजर आते हों. नखवाल ने बताया कि कई ऐसे आधार हैं जिस पर प्रत्यर्पण का विरोध किया जा सकता है.
इस आधार पर हो सकता है प्रत्यर्पण का विरोध
विजय माल्या अपने प्रत्यर्पण को चुनौती दे सकते हैं. माल्या प्रत्यर्पण के आधार को राजनीति से प्रेरित करार दे बता सकते हैं और इसका विरोध कर सकते हैं. अपने प्रत्यर्पण को माल्या मानवाधिकार का उल्लंघन साबित करने की कोशिश कर सकते हैं. हालांकि, माल्या किस आधार पर अपने प्रत्यर्पण को चुनौती देते हैं, ये अभी साफ नहीं है.
ब्रिटने के वकील जविंदरा नखवाल ने ये भी बताया कि 17 मई को ये केस अदालत के पास आएगा. सुनवाई में जिला जज दोनों पक्षों से सबूत मांगने का आदेश दे सकते हैं. जिसके लिए सुनवाई की तारीख तय की जा सकती है.
क्या है मामला?
विजय माल्या पर 17 भारतीय बैंकों से 9 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज लेने का आरोप है. कर्ज न लौटाने पर माल्या को भारत सरकार ने भगोड़ा घोषित किया है. माल्या 2016 से ब्रिटेन में हैं. धोखाधड़ी के आरोपों पर स्कॉटलैंड यार्ड ने माल्या को गिरफ्तार किया था. हालांकि, गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद माल्या को सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया गया. माल्या की गिरफ्तारी के बाद ब्रिटिश अदालतों में उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो गई.
बता दें कि माल्या को भारत-ब्रिटेन की बीच हुई संधि के तहत गिरफ्तार किया गया था. अब भारत माल्या को भारत लाने की कोशिश में है. भारत ने माल्या को सौंपने के लिए ब्रिटेन सरकार से कई स्तरों पर अपील की थी.
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