बैंक घोटाला मामले में भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या ने शनिवार को मीडिया की उस खबर का खंडन किया है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी के हवाले से दावा किया गया था कि विजय माल्या ने अपनी जब्त संपत्ति को लेकर सौदेबाजी की कोशिश की थी.
इस मामले में माल्या ने सफाई देते हुए कहा कि ऐसे बयान देने से पहले अधिकारी को ईडी चार्जशीट को ठीक से पढ़ लेना चाहिए. दरअसल, ब्रिटेन और अमेरिका में कुछ रियायत के बदले आरोपी द्वारा ऐसी सौदेबाजी की जाती है. हालांकि भारत में ऐसी सौदेबाजी का चलन नहीं है.
प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी के बयान को खारिज करते हुए माल्या ने ट्वीट में किया, 'मीडिया रिपोर्ट्स में एक ईडी अधिकारी के हवाले से कहा गया कि मैं ईडी से जब्त संपत्ति को मुक्त कराने के लिए सौदेबाजी की कोशिश कर रहा हूं. मैं सम्मानपूर्वक सलाह देना चाहूंगा कि अधिकारी पहले ईडी की चार्जशीट को ठीक से पढ़ लें. साथ ही मैं ईडी से भी कहूंगा कि वह सौदेबाजी की इस थ्योरी को कोर्ट में उनके सामने कहे, जिनसे मैंने सौदेबाजी करने की कोशिश की है.'
Media reports quote an ED official stating that I am attempting a plea bargain. Would respectfully suggest that the official read the ED charge sheet first. I would invite the ED to advance the same plea bargain theory in Court in front of whom I have placed my assets.
— Vijay Mallya (@TheVijayMallya) June 30, 2018
शुक्रवार को मीडिया रिपोर्ट में ईडी के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया था कि बैंक फ्रॉड मामले में माल्या ने सौदेबाजी करने की कोशिश की थी. साथ ही यह प्रस्ताव दिया था कि अगर ईडी उसकी फ्रीज संपत्ति को लौटा दे, तो वो बैंक के बकाया का भुगतान कर देगा.
किंगफिशर लोन मामले में माल्या द्वारा अपनी खामोशी तोड़ने के बाद सौदेबाजी की रिपोर्ट सामने आई थी. इससे पहले माल्या ने मामले में सफाई पेश करते हुए दावा किया था कि पूरे मामले में वह बेगुनाह हैं. इसके बावजूद देश के नेताओं और मीडिया ने उन्हें कर्ज लेकर फरार कारोबारी घोषित कर दिया है.
विजय माल्या ने दावा किया था कि मीडिया द्वारा चलाए गए ट्रायल के बाद कुछ बैंकों ने भी उन्हें विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने का फैसला किया है. खास बात यह है कि माल्या ने दावा किया था कि यह सफाई उनके द्वारा 15 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली को लिखे गए पत्र के आधार पर है और उनके बयान में दोनों को लिखी गई चिट्ठी के अंश शामिल हैं.
बैंकों का कितना कर्ज?
माल्या ने बताया था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 बैंकों के संघ ने किंगफिशर एयरलाइंस को करीब 5,500 करोड़ रुपये का लोन दिया था. इस लोन को देने के लिए बैंक के प्रत्येक स्तर पर नियम के मुताबिक उन्हें मंजूरी दी गई थी. इसके बाद लोन के लिए गिरवी रखी गई संपत्ति को बेचते हुए 600 करोड़ रुपये की रिकवरी की जा चुकी है. इसके अलावा साल 2013 से 1,280 करोड़ रुपये कर्नाटक हाईकोर्ट में सिक्योरिटी डिपॉजिट में पड़े हैं. लिहाजा कुल मिलाकर 1,880 करोड़ रुपये की रिकवरी की जा चुकी है.
माल्या ने दावा किया था कि साल 2010 के दौरान जब देश में एविएशन सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहा था, तब रिजर्व बैंक की मंजूरी से किंगफिशर को दिए गए कर्ज को रीस्ट्रक्टचर करने का कदम उठाया गया था. इसके बाद खुद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जनवरी 2012 में आरबीआई को लिखा था कि माल्या ने पर्याप्त मात्रा में किंगफिशर एयरलाइन्स में निवेश किया है, लेकिन मौजूदा मंदी के चलते एयरलाइन्स को घाटे से जाने में रोकना संभव नहीं है.
इसके बाद जब किंगफिशर एयरलाइंस घाटे में चली गई, तब कर्ज देने वाले बैंकों के संघ ने कर्ज की रिकवरी के लिए ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाते हुए 5,000 करोड़ रुपये के कर्ज और 1200 करोड़ रुपये के ब्याज की रिकवरी की मांग की थी. लिहाजा बैंकों की तरफ से कुल 6,200 करोड़ रुपये की रिकवरी की बात कही गई थी, लेकिन मीडिया रिपोर्ट में देनदारी को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया.
विलफुल डिफॉल्ट का आरोप?
माल्या का दावा है कि बैंकों द्वारा ट्रिब्यूनल जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जरिए सेटेलमेंट के दो प्रस्ताव दिए गए थे. यह प्रस्ताव 29 मार्च 2016 और छह अप्रैल 2016 को दिए गए थे. इन प्रस्तावों में बैंक के 5,000 करोड़ रुपये के कर्ज के ऐवज में 4,000 करोड़ रुपये और 2,000 करोड़ रुपये एक अन्य लंबित मामले में क्लेम भरने की पेशकश की गई थी. इस प्रस्ताव को अगले महीने 4,400 करोड़ और 2,000 करोड़ रुपये के संशोधन के साथ पेश किया गया था, लेकिन जहां पहले प्रस्ताव को बैंक के शीर्ष स्तर पर ठुकरा दिया गया था, वहीं दूसरे प्रस्ताव को बैंक के एक छोटे कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट में ही ठुकरा दिया था.
विजय माल्या ने दावा किया कि इन प्रस्तावों को ठुकराए जाने के बाद उन्होंने 10 मई 2016, दो जून 2016 और 10 जून 2016 को एसबीआई प्रमुख को पत्र लिखते हुए समझौते पर चर्चा करने के लिए कहा था. माल्या का दावा है कि ऐसी स्थिति में बैंकों द्वारा उन्हें विलफुल डिफॉल्टर घोषित करना उचित नहीं है, क्योंकि उन्होंने लगातार बैंकों के कर्ज को निपटाने की पहल की थी.