भारत के लिए ओलंपिक में बुधवार का दिन आजतक का सबसे बड़ा दिन था. जहाँ एक ओऱ पहलवान सुशील कुमार ने कांस्य पदक जीता वहीं मुक्केबाज विजेंदर कुमार को पदक मिलना पक्का हो गया है. ओलंपिक के इतिहास में पहली बार भारत के आगे तीन पदक दिखाई देंगे.
सबसे पहले सुशील कुमार ने अपना पहला मैच हारने के बाद भी हौसला नहीं गंवाया और कांस्य पदक जीते. इसके कुछ देर बाद ही मुक्केबाजी में विजेंद्र कुमार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इक्वाडोर के कार्लोस गोंगोरा को 75 किग्रा मिडलवेट वर्ग में 9-4 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया. इसके साथ ही भारत के लिए तीसरा पदक सुनिश्चित कर दिया. यह पहली बार होगा जब भारत को मुक्केबाजी में ओलंपिक पदक मिलेगा.
विजेंद्र अगर अब सेमीफाइनल मुकाबला जीत लेते हैं तो वह स्वर्ण और रजत पदक के मुकाबले में जा सकते है. लेकिन उनके सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद यह तो तय हो गया है कि कम-से-कम कांस्य तो मिलेगा ही.
विजेंद्र के इस पदक को पक्का करने के साथ ही ओलिंपिक इतिहास में यह पहला मौका है जब भारत किसी एक ओलिंपिक में तीन पदक जीत रहा है. भारत ने इससे पहले 1900 के पेरिस ओलिंपिक में दो रजत और 1952 के हेलसिंकी ओलिंपिक में एक गोल्ड और एक कांस्य पदक जीता था. भारत के मुक्केबाज़ों ने जिन 12 ओलिंपिक में हिस्सा लिया उनमें वे कभी भी पदक की दौर तक नहीं पहुंच पाए थे. विजेंद्र ने आखिर इस बाधा को बीजिंग में पार कर ही लिया.
पहला राउंड समाप्त हुआ तो विजेंद्र ने 2-0 की बढ़त बना ली थी. तीसरे राउंड की समाप्ति तक उनकी बढ़त 7-2 हो चुकी थी. चौथे और आखिरी राउंड में गोंगोरा ने विजेंद्र के डिफेंस को तोड़ने की भरपूर कोशिश की लेकिन सभी प्रयासों को नाकाम करते हुए भिवानी के इस मुक्केबाज़ ने प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए इक्वाडोर के मुक्केबाज के खिलाफ 9-4 से जीत हासिल की.
अखिल और जितेंद्र की हार के बाद देश की सारी उम्मीदें विजेंद्र पर ही टिकी हुई थीं और विजेंद्र ने किसी को निराश नहीं किया. उन्होंने यह मुकाबला जीत पूरे देश को जश्न का एक और मौका दे ही दिया.