आम आदमी पार्टी की सरकार के दिन क्या पूरे हो चुके हैं? ये सवाल उठ रहा है
'आप' के ही बागी विधायक विनोद कुमार बिन्नी के दावे के बाद. बिन्नी की
मानें तो उनके साथ पांच विधायक और हैं, जो सरकार के
कामकाज से नाखुश हैं. बिन्नी का दावा है कि सोमवार दोपहर को वे पांचों
विधायक उनके साथ सामने आएंगे.
उधर, जेडीयू के विधायक शोएब इकबाल ने भी सरकार को 48 घंटे का समय दिया है. वे केजरीवाल सरकार को समर्थन दे रहे हैं.
रविवार को विनोद कुमार बिन्नी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. बिन्नी ने कहा कि कुल पांच विधायक उनके साथ हैं और ये पांचों विधायक सोमवार दोपहर एक बजे मीडिया के सामने आएंगे.
बिन्नी ने कहा, 'हमारा उद्देश्य सरकार को गिराना नहीं है. लेकिन दिल्ली की जनता के प्रति हमारी जवाबदेही है. उसी को ध्यान में रखते हुए पांचों विधायक कल एक कार्यक्रम तय करेंगे और फिर जो भी होगा, सबको बता दिया जाएगा.'
बिन्नी ने कहा कि यदि 48 घंटे के भीतर बिजली के टैरिफ, पानी के बिल, भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच के आदेश और महिला सुरक्षा को लेकर कोई अहम कदम सरकार ने नहीं उठाए तो वे कोई ठोस फैसला ले सकते हैं.
उधर, जनता दल यूनाइटेड के विधायक शोएब इकबाल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा. इकबाल ने कहा कि दिल्ली की सरकार पूरी तरह विफल हुई है. यह पार्टी अब सत्ता की लालची हो गई है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत सरकार चल सकती है.
बिन्नी के ड्रामे के पीछे बीजेपी नेता हर्षवर्धन
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने बिन्नी के अल्टीमेटम पर कहा कि सरकार रहे या गिर जाए, आम आदमी पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने कहा कि वे किसी की धमकियों से डरने वाले नहीं हैं. वे सरकार मैनेज करने नहीं, काम करने आए हैं. संजय सिंह ने ये भी कहा कि बिन्नी के पीछे बीजेपी नेता हर्षवर्धन हैं.
संजय सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी का कोई भी विधायक बिन्नी के साथ नहीं जाएगा. पूरी पार्टी एकजुट है. 'आप' नेता ने कहा कि वे उन सभी बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चैलेंज करते हैं, जहां दिल्ली के साथ ही सरकार बनी है, कि वे आएं और खुली बहस करें. तब ये साबित हो जाएगा कि केजरीवाल सरकार ने एक महीने के भीतर उनसे कहीं ज्यादा काम कर दिया है.
ये है दिल्ली विधानसभा की वर्तमान स्थिति
दिल्ली विधानसभा में इस बार 32 सीटें बीजेपी और उनके सहयोगियों को मिली थीं. 28 सीटें आम आदमी पार्टी को मिली थीं, जो विनोद कुमार बिन्नी को पार्टी से निकाले जाने के बाद अब 27 रह गई हैं. कांग्रेस को 8 सीटें मिली थीं और अन्य को 3 सीटें हासिल हुई थीं. शोएब इकबाल इन्हीं अन्य तीन में से एक हैं, जिन्होंने पहले बिना शर्त केजरीवाल सरकार को समर्थन दिया था.