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VIRAL TEST: बंगाल में बूथ कैप्चरिंग के वायरल वीडियो का ये है सच

चुनाव के दौरान हुई हिंसा की कई तस्वीरें और कई दिल दहला देने वाले वीडियो सामने आए, लेकिन एक वीडियो ऐसा आया जिसे देखकर लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली. बूथ कैप्चरिंग के बारे में सुना तो सबने होगा, लेकिन इस वायरल वीडियो में जिस तरह खुलम्म खुला बूथ लूटा जा रहा है उसे देखकर यकीन कर पाना मुश्किल है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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चुनावी हिंसा और खून खराबे के लिए चर्चित हुए पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के नतीजे 17 मई को घोषित हो गए. बंगाल में इन चुनावों के दौरान हुई हिंसा में कम से कम 14 लोग मारे गए और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए.

चुनाव के दौरान हुई हिंसा की कई तस्वीरें और कई दिल दहला देने वाले वीडियो सामने आए, लेकिन एक वीडियो ऐसा आया जिसे देखकर लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली. बूथ कैप्चरिंग के बारे में सुना तो सबने होगा, लेकिन इस वायरल वीडियो में जिस तरह खुलम्म खुला बूथ लूटा जा रहा है उसे देखकर यकीन कर पाना मुश्किल है कि कोई चुनाव ऐसा भी हो सकता है.

बैलेट पेपर से हुए पंचायत चुनाव

आप खुद देखिए इस वीडियो को जिसको लेकर सोशल मीडिया में बेहद हलचल है. पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव ईवीएम नहीं बल्कि बैलेट पेपर से हुए थे.

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यह वीडियो इस कदर वायरल हुआ कि इसे चुनाव में धांधली की मिसाल कहा जाने लगा. हमने इस बेहद चर्चित वीडियो की  सच्चाई का पता लगाने का फैसला किया. वीडियो देखते ही साफ हो जाता है कि ये वीडियो पश्चिम बंगाल चुनाव का है.

बैलेट पेपर पर बीजेपी, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम और कांग्रेस पार्टी का चुनाव निशान साफ देखा जा सकता है. सफेद शर्ट वाला आदमी जिस समय कई बैलेट पेपर पर तृणमूल कांग्रेस के चुनाव निशान पर मुहर लगाकर बैलेट बॉक्स में डाल रहा है उस समय ये भी देखा जा सकता है कि सामने बांग्ला और अंग्रेजी में मतदान कक्ष लिखा हुआ है.

बंगाल पंचायत चुनाव का है वीडियो

जिन बैलट पेपर्स पर दनादन मुहर लगाई जा रही है वो पीले रंग का है. साथ में किनारे रखे हुए गुलाबी रंग के दूसरे बैलट पेपर भी दिख रहे हैं. इस बार बंगाल पंचायत चुनाव में जिला परिषद के चुनाव के बैलेट पेपर का रंग पीला और पंचायत समिति के बैलेट पेपर का रंग गुलाबी ही था. इन बातों से ये तो साफ हो गया कि ये वीडियो  बंगाल पंचायत चुनावों का ही है.

अगली चुनौती ये पता करने की थी कि क्या ये वीडियो इसी चुनाव का है और अगर हां तो फिर, ये कौन सी जगह, कौन सी सीट और बूथ कौन सा है.

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वीडियो में ध्यान से सुनने से पता चलता है कि जो व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से बैलट पेपर पर मुहर लगाता चला जा रहा है उसके अलावा भी वहां कम से कम दो-तीन और लोग मौजूद हैं. ये लोग तस्वीरें ले रहे हैं और वीडियो बना रहे हैं.

बांग्ला में हो रही बातचीत में वीडियो बनाने वाला व्यक्ति उसे भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहा है कि उसका चेहरा नहीं दिखेगा. कभी-कभार वीडियो बनाने और फोटो लेने में लगे लोगों झलक भी वीडियो में दिख जाती है. एक बार एक प्रोफेशनल कैमरे का लेंस भी फ्रेम में दिखता है. यानि जब ये हो रहा था, हो सकता है मीडिया के कुछ लोग भी वहां मौजूद थे.

14 मई को हुई थी वोटिंग

इस बात का पता लगाने के लिए जब हमने बांग्ला के कुछ स्थानीय टीवी चैनल्स और अखबारों में संपर्क किया तो ये पता चला कि ये घटना उत्तरी 24 परगना जिले की है जहां 14 मई को वोटिंग हुई थी. हमारी बात एक ऐसे आदमी से भी हुई जिसने नाम गुप्त रखने की शर्त पर हमें बताया कि जब ये कारनामा हो रहा था उस वक्त वो वहीं पर मौजूद था.

उसके दावे के मुताबिक ये घटना कोलकाता के पास राजारहाट तहसील में हुई थी. ये भी पता चला कि राजारहाट के पाथारघाटा गांव में 14 मई को एक बूथ पर इस तरह से कब्जा किया गया था और ये वहीं कि तस्वीरें हो सकती हैं. कई स्थानीय लोगों के बात करके पता चला कि ये बूथ नंबर 204 कि घटना है जहां एक शिशु शिक्षा केंद्र को पोलिंग बूथ बनाया गया था.

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लेकिन सीधे इस दावे पर यकीन करने के बजाए हम ये पता लगाने में जुट गए कि क्या वाकई ये पाथारघाटा का मतदान केंद्र ही है. वीडियो में देखा जा सकता है कि बैलेट पेपर पर पहले नंबर पर बीजेपी, दूसरे नंबर पर तृणमूल, तीसरे नंबर पर सीपीएम और चौथे नंबर पर कांग्रेस का चुनाव निशान छपा है. यानि इस सीट पर चार उम्मीदवार मैदान में थे.

4 पार्टियों के उम्मीदवार

पता चला कि पाथारघाटा सीट नंबर 33 पर इन्हीं चार पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में है. इसके बात हमने पता किया कि बैलेट पेपर पर पार्टियों या उम्मीदवारों के नाम किस क्रम से लिखा जाए इसके लिए क्या नियम हैं. चुनाव से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि बैलेट पेपर पर पार्टियों और उम्मीदवारों का फैसला, एलफाबेटिकल आर्डर में लिखा जाता है , लेकिन बांग्ला भाषा के वर्णमाला के हिसाब से.

हमने पाथारघाटा सीट नंबर 33 पर जिला परिषद चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम की सूची निकाली. बीजेपी के उम्मीदवार का नाम अचिंत कुमार नसकर, तृणमूल के उम्मीदवार का नाम गौर नसकर, सीपीएम के उम्मीदवार का नाम बापी बिस्वास और कांग्रेस के उम्मीदवार का नाम रत्ना भट्टाचार्य है.

बांग्ला भाषा के हिसाब से ये नाम ठीक उसी क्रम में आएंगे जैसे इस बैलैट पेपर पर छपा है यानि- बीजेपी, तृणमूल, सीपीएम और कांग्रेस.

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वीडियो में पार्टियों के चुनाव चिन्ह तो साफ देखे जा सकते हैं, लेकिन उम्मीदवारों के नामों को पढ़ने के लिए हमें वीडियो को रोक-रोक कर हैंडलैंस से देखना पड़ा. चारों नाम वही थे-अचिंत कुमार नसकर, गौर नसकर, बापी बिस्वास और रत्ना भट्टाचार्य. यानि सीट पाथारघाटा होने की बात पुख्ता हो गई.

वीडियो में दिख रहा है कि सफेद शर्ट वाला व्यक्ति सारे मुहर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार गौर नसकर के नाम पर लगा कर बैलेट बॉक्स में डाल रहा है.

इसलिए हमने गौर नसकर से फोन पर बात की. गौर नसकर ने पहले तो इस वीडियो के बारे में कुछ पता नहीं होने की बात कही, लेकिन जब हमने उनसे ज्यादा पूछाताछ करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन काट दिया.

बांग्ला से हिंदी में अनुवादित

सवाल: आप गौर नसकर बात कर रहे हैं?

जवाब: हां मैं गौर नसकर हूं.

सवाल: एक वीडियो वायरल हुई जहां ये देखने को मिला की आपके नाम पर बूथ कैप्चरिंग हुई है, जहां आप के नाम पर वोट भी डाले जा रहे हैं, क्या ये सच है?

जवाब: मुझे आप की बात समझ नही आई.

सवाल: एक वीडियो वायरल हुई है जहां ये देखने को मिला की आपके नाम पर बूथ कैप्चरिंग हुई है, उसमें एक लड़का दिख रहा है जो TMC पार्टी के नाम के झुठे ठप्पे लगा रहा है क्या आप उसे जानते हैं.

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जवाब: बूथ के अंदर क्या भैया?

सवाल: हां बूथ के अंदर.

जवाब: नहीं, नहीं ये गलत बात है.

सवाल: मैं आपको बता दूं की ये घटना 204 नंबर बूथ की सीट नंबर 33 पथार्घट इलाके की है, आपके नाम पर बूथ कैप्चरिंग हुई है क्या ये सच है?

जवाब: नहीं, नहीं ये सब गलत बात ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

शिकायत नहीं तो कार्रवाई नहीं

अब सवाल ये उठता है कि चुनावी धांधली के जिस वीडियो को देश-दुनिया के लोग देख रहे हैं उसके बारे में चुनाव अधिकारियों क्या कार्रवाई की? ये जानने के लिए हमने राजारहाट के बीडीओ अनिरबन दत्ता से बात की जो पंचायत चुनाव में रिटर्निंग आफिसर होते हैं.

अनिरबन ने हमें बताया कि उन्होंने इस घटना के बारे में कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि इसके बारे में किसी पार्टी ने लिखित तौर पर शिकायत नहीं की है. उन्होंने यह भी कहा कि रिटर्निंग आफिसर तभी कार्रवाई करता है जब पोलिंग बूथ के प्रिसाइडिंग आफिसर की डायरी में बूथ पर किसी गैरकानूनी घटना का जिक्र हो. इस मामले में प्रिसाइडिंग आफिसर की डायरी में बूथ कैप्चरिंग की किसी घटना का जिक्र नहीं था.

प्रिसाइडिंग आफिसर की डायरी में कोई जिक्र क्यों नहीं था ये जानने के लिए इस तस्वीर को ध्यान से देखिए.

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जब फर्जी वोट डाले जा रहे थे तो प्रिसाइंडिंग आफिसर की कुर्सी खाली थी. दरवाजे के बाहर पुलिस वाले को सोता हुआ देखा जा सकता है. बाहर कुछ और लोग भी देखे जा सकते हैं, लेकिन वो भी इतने आराम से खड़े हैं. उसे देखकर साफ है कि या तो वो बूथ कैप्चरिंग में शामिल हैं या फिर उन्हें इसकी कोई चिंता ही नहीं है.

वायरल टेस्ट में खबर पूरी तरह सही निकली.

(अगर आपके पास ऐसा कोई वीडियो है तो इसे हमें वायरल टेस्ट के लिए भेजिए इस ई-मेल आईडी पर-viraltest@aajtak.com)

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