पिछले साल 6 जून को मध्य प्रदेश के मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोलीबारी की थी जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई थी. अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि किसानों पर पुलिस की गोलीबारी का वीडियो है. तो क्या सच में यह वही वीडियो है?
दरअसल जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उसमें दिखाई दे रहा है कि बीच सड़क पर तीन पुलिसवाले बंदूक ताने सड़क पर पोजीशन लिए हुए हैं, सड़क के दोनों तरफ लोगों की भीड़ है और सामने से नारे लगाते हुए एक जत्था पुलिस की तरफ बढ़ रहा है.किसानों की हितैषी सरकार
मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर का गोली कांड..देखिए किस तरह मध्य प्रदेश की bjp सरकार ने मासूम किसानो पर अपनी क्रूरता का परिचय दिया था.. किसान अपनी जायज़ मांगे इस क्रूर सरकार से कर रहे थे, उन मांगो के बदले इस सरकार ने उन किसानो को क्या दिया.
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— SONI (@maheshs03969081) July 12, 2018
तभी तीनों पुलिसवाले बंदूक को सीधे भीड़ की तरफ करके गोली चला देते हैं और 2-3 लोगों को गोली लगती है और वो सड़क पर गिर जाते हैं. सड़क पर धुआं उठता है और भीड़ तितर-बितर हो जाती है. इसके बाद कुछ पुलिसवाले आगे बढ़ते हैं और पीछे से एक एंबुलेंस भी आती है. पुलिसवाले स्ट्रेचर पर लादकर घायल लोगों को एंबुलेंस में ले जाती है.
वीडियो ऐसा है कि जिसे देखकर किसी का भी दिल दहल जाए. सिर्फ एक मिनट के इस वीडियो क्लिप को इस वक्त सोशल मीडिया पर जोर-शोर से वायरल किया जा रहा है और इस वीडियो को मंदसौर जिले का गोलीकांड बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि किसान अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें सीधे मौत की नींद सुला दिया.
मंदसौर गोलीकांड में हुई थी 5 किसानों की मौत
बता दें कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक साल पहले जो गोलीकांड हुआ था वह काफी चर्चा में रहा था और उसमें 5 किसानों की मौत हो गई थी. इस घटना की काफी चर्चा हुई थी और बीजेपी को इसे लेकर काफी फजीहत भी झेलनी पड़ी थी, लेकिन क्या यह वायरल वीडियो सचमुच मध्य प्रदेश के मंदसौर गोलीकांड का ही है?
इस वीडियो को ध्यान से देखने पर कुछ चीजें खुद-ब-खुद साफ हो जाती हैं. पहली बात तो यह दिखती है कि पुलिस जब गोली चला रही है उस वक्त भी सड़क के दोनों तरफ लोग बिल्कुल आराम से खड़े हैं. गोली चलने और लोगों के गिरने के बाद भी भीड़ वहां से भागती हुई नहीं दिखती जैसा कि आमतौर पर होता है. यह भी साफ देखा जा सकता है कि गोली चलाने के बाद धुआं बंदूक की नाल से नहीं बल्कि आसपास से उठ रहा है. साथ ही जो आवाज आई वो भी गोली जैसी नहीं बल्कि पटाखे जैसी लग रही है.
ये है वायरल वीडियो की हकीकत
पुलिसवाले जब गोली चलाकर खड़े हो जाते हैं उसके बाद भी एक धमाका होता है और सड़क पर धुआं उठता दिखता है जिसे यह साफ है कि वह पटाखा है. यह बात भी हैरान करने वाली है कि लोगों के गिरने के फौरन बाद ही वहां एंबुलेंस पहुंच जाती है और लोग स्ट्रेचर लेकर दौड़ पड़ते हैं, जैसे वह पहले से ही मौके पर तैनात हों.इन सारी बातों को देखते हुए यह बात तो साफ हो जाती है कि यह पुलिस की असल फायरिंग नहीं बल्कि मॉक ड्रिल है जो पुलिस अक्सर लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए चलाती है.
पूरी तरह इसकी सच्चाई परखने के लिए 'आजतक' ने मंदसौर में अपने संवाददाता से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि मंदसौर गोलीकांड जिस जगह पर हुआ था वहां पर कोई बाजार नहीं था बल्कि खेत थे.
मंदसौर गोली कांड जहां पर हुआ था वो एक गांव था जबकि इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि यह किसी शहर का बाजार है जहां पर दोनों तरफ बैंक, शोरूम और होटल दिख रहे हैं. इससे यह बात बिल्कुल साफ है कि यह मंदसौर की वीडियो तो बिल्कुल नहीं है.
मंदसौर नहीं खूंटी का है वीडियो
लेकिन पुलिस फायरिंग का यह वीडियो है कहां का है इसकी पड़ताल करने के लिए हमने इस वीडियो में दिख रहे तमाम शोरूम और दुकानों के आधार पर खोजबीन शुरू की, जिसके बाद हमें यह पता चला यह वीडियो झारखंड के खूंटी शहर का है.खूंटी में पिछले साल 31 अक्टूबर को पुलिस ने दंगा से निपटने के लिए पुलिस की तैयारी के बारे में एक मॉक ड्रिल किया था. खूंटी के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की.
हमने अपने संवाददाता से खूंटी के उसी सड़क का वीडियो मंगाया ताकि इस बात की पुष्टि हो सके. इस वीडियो को देखकर यह बात साफ हो गई की पुलिस की मॉक ड्रिल खूंटी की इसी सड़क पर हुई है जिसका नाम खूंटी मेन रोड है.