कैसे एक तस्वीर सेलिब्रिटी से लेकर आम आदमी तक को झकझोर देती है? उसकी एक बानगी "दादी-पोती" की वायरल हो रही फोटो है. आजकल एक तस्वीर सोशल मीडिया काफी तेजी से वायरल हो रही है. इसमें बुजुर्ग महिला के साथ स्कूल की एक बच्ची दिख रही है, जो बिलख-बिलख कर रो रही है.
सोशल मीडिया पर लोग यह लिखते हुए इस फोटो को वायरल कर रहे हैं कि "तस्वीर में दिख रही बच्ची स्कूल की तरफ से सहपाठियों के साथ एक वृद्धाश्रम देखने पहुंची थी. उसी दौरान संयोग से उस बच्ची को अपनी दादी मिल गईं. दोनों एक-दूसरे को देख कर रोने लगे. लड़की अपने माता-पिता से जब भी दादी के बारे में सवाल करती थी तो जवाब मिलता था कि वह रिश्तेदार के यहां गई हैं. सवाल है कि यह किस तरह का हम समाज बना रहे हैं? क्या हम संवेदन शून्य होते जा रहे हैं...शर्मनाक!" और देखते ही देखते इस भावुक तस्वीर को लोग वायरल करने लगे.
This 14yr Old Girl coincidentally found her grandmother in an oldage home which she was made to visit during her school trip
Her parents had dropped off the old lady in the oldage home& had told the girl she is staying with some relative
Love brought them together again.. pic.twitter.com/dYd0SOCzya
— Dr. Vedika (@vishkanyaaaa) August 21, 2018
इस तस्वीर के वायरल होने के बाद ट्वीटर और फेसबुक पर आम लोगों की हजारों प्रतिक्रिया आने लगीं! तस्वीर पर प्रतिक्रिया देते हुए क्रिकेटर हरभजन सिंह ने लिखा, "ऐसे लोगों पर शर्म आती है...", ऐसे ही एक वायरल ट्वीट को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रीट्वीट कर प्रतिक्रिया जताई.
Shame on such people... https://t.co/I589oDJMqw
— Harbhajan Turbanator (@harbhajan_singh) August 21, 2018
सोशल मीडिया में दादी-पोती की वृद्धाश्रम में की इस तस्वीर के वायरल होने का हमने टेस्ट करने का फैसला किया. खोजबीन में पता चला कि यह तस्वीर गुजरात के अहमदाबाद की है. इस वायरल तस्वीर के पीछे की सच्चाई जानकार आप भी चौक जाएंगे. यह तस्वीर 11 साल पुरानी है और इसे 12 सितंबर 2007 को खींचा गया था.
तहकीकात में सामने आया कि यह तस्वीर अहमदाबाद के "गुरु नानक चंद्रकेतु पंड्या उच्च विद्यालय" की छात्रा रहीं भक्ति पांचाल (पोती) की है. भक्ति उस समय अपने स्कूल की तरफ से सहपाठियों के साथ "मणिलाल गांधी वृद्धा आश्रम" देखने पहुंची थीं, और इस भावुक क्षण को अपने कैमरे में एक अख़बार में काम करने वाले फोटोग्राफर कल्पित भचेच ने कैद कर लिया था.
फोटोग्राफर कल्पित भचेच की इस तस्वीर ने उस समय भी काफी सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन 11 साल बाद एक बार फिर से यह तस्वीर अचनाक इतना वायरल क्यों होने लगी? इसका पता लगाने के लिए हम फोटोग्राफर कल्पित भचेच तक पहुंचे. उन्होंने बताया, 'यह वायरल तस्वीर 2007 यानी आज से 11 साल पहले की है. उस दौरान "गुरु नानक चंद्रकेतु पंड्या उच्च विद्यालय" की छात्राओं के साथ वृद्धाश्रम के दौरे पर गए थे. यह तस्वीर उस वक्त एक अखबार के पहले पन्ने पर छपी थी, और तब काफी लोगों ने इसे लेकर उन्हें फोन किए थे.'
मगर इतने सालों बाद फिर यह तस्वीर क्यों वायरल हुई, इस सवाल पर अब बीबीसी गुजराती से जुड़ चुके कल्पित भचेच बताते हैं कि चार दिन पहले "वर्ल्ड फोटोग्राफी दिवस" के मौके पर उनसे अब तक की उनकी सर्वश्रेष्ठ फोटो की मांग की गई थी. इसके बाद ही उन्होंने अपनी इस तस्वीर को बीबीसी गुजराती को मुहैया कराया था. बीबीसी गुजराती ने अपने वेब पोर्टल पर इसे प्रकाशित किया और उसके बाद ही यह तस्वीर एक बार फिर से वायरल होने लगी.
(वायरल तस्वीर लेने वाले फोटोग्राफर कल्पित भचेच के साथ आजतक की संवाददाता गोपी घांघर)
बहरहाल, इस फोटो की सच्चाई क्या है? दादी और पोती क्यों रो रही थीं, यह जानने के लिए हमारी अहमदाबाद की संवाददादा उसी वृद्धाश्रम में पहुंचीं, जहां यह तस्वीर खिंची गई थी. संवाददाता ने दादी दमयंती पंचाल से मुलाकात की. आजतक की टीम जब दमयंती के पास पहुंची तो उन्होंने खुद फोन कर अपनी पोती भक्ति को वृद्धाश्रम बुलाया.
बातचीत में सामने आया कि यह तस्वीर असली है और जब वह स्कूल की तरफ से वृद्धाश्रम गई थीं, उसी दौरान वह अपनी दादी को अचानक देखकर सन्न रह गईं और भावुक हो गईं. स्कूल में पढ़ाई के दौरान भक्ति पंचाल 15 साल की थीं. वायरल मैसेज के सवाल पर भक्ति कहती हैं, 'हां यह सही है. जब भी मैं माता-पिता से दादी के बारे में बात करती थी तो बताया जाता था कि वह किसी रिश्तेदार के यहां गई हैं और वहां से वृद्धाश्रम जाएंगी, लेकिन किस वृद्धाश्रम जाएगी, यह नहीं पता था और अचनाक वहां दादी को देख मैं भावुक हो गई.
हालांकि भक्ति पंचाल 11 साल बाद सोशल मीडिया पर तस्वीर के वायरल होने के लेकर काफी नाराज थीं. वह कहती हैं कि वह अपनी दादी को बहुत प्यार करती हैं और हफ्ते में चार दिन उनके माता-पिता भी उनके साथ होते हैं. वहीं दमयंती इस बात की तस्दीक करती हैं कि यह तस्वीर 11 साल पुरानी है और उनकी पोती को इसकी जानकारी नहीं थी कि वह वृद्धाश्रम चली आई हैं. दमयंती यह भी कहती हैं कि वह अपनी मर्जी से वृद्धाश्रम में रहती हैं.