scorecardresearch
 

वायरल टेस्ट : कचरे के ढेर से जिसे उठाया वो लड़की बन गई आयकर अधिकारी! जानिए सच

आजतक की टीम ने वायरल टेस्ट के तहत खोजबीन की जिससे मिलती जुलती एक कहानी सामने आई जिसके मुताबिक 2010 में असम के एक सब्जी कारोबारी की बेटी दीपांजलि दास ने सिविल सर्विस परीक्षा पास की थी. लेकिन पड़ताल से पता चला कि सोशल मीडिया पर वायरल कहानी से उनका कोई नाता नहीं है

Advertisement
X
वायरल टेस्ट
वायरल टेस्ट

Advertisement

पिता ठेले पर सब्जी बेचता हो...और उसकी बेटी सिविल सर्विसेज परीक्षा पास कर इनकम टैक्स की बड़ी अधिकारी बन जाए...और बड़ी बात कि ये बेटी सब्जी वाले की सगी बेटी नहीं बल्कि उसे ढाई दशक पहले कचरे के ढेर पर पड़ी मिली थी. जाहिर है कि ऐसी ख़बर सुर्खियां तो बटोरेंगी ही, साथ ही युवा पीढ़ी को भी प्रेरणा देने का काम करेगी. प्रेरणा ऐसी कि किस तरह तमाम मुश्किलों को सहते हुए भी अपने लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है. सब्जी वाले की बेटी के इनकम टैक्स असिस्टेंट कमिश्नर बनने की ये कहानी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है.

सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही इस कहानी के साथ फोटो भी है. कहानी में बताया जा रहा है कि असम के तिनसुकिया में रहने वाले सब्जी विक्रेता की लड़की असम लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर इनकम टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर नियुक्त हो गई.

Advertisement

बताया जा रहा है कि सब्जी बेचने वाले का नाम सोबरन है. सोबरन ने 25 साल पहले नवजात को कचड़े के ढेर पर देखा तो उसका दिल पसीज गया. सोबरन ने उसे पालने का फैसला किया और नाम दिया ‘ज्योति’. सोबरन की तब शादी भी नहीं हुई थी. सोबरन ने ज्योति के लालन-पालन में कोई कसर नहीं छोड़ी और उसे खूब पढ़ाया. इसी का नतीजा रहा कि ज्योति इनकम टैक्स अधिकारी बन गई.  

सोशल मीडिया पर पिता-पुत्री की कहानी को पढ़ने के बाद तारीफ करने वालों का तांता लग गया. देश में पंजाब केसरी डॉट कॉम, यूसी न्यूज़ ने इस कहानी पर ख़बर भी की है.

इंडिया टुडे की वायरल टेस्ट टीम ने कहानी के तथ्य कितने सही हैं ये जानने के लिए पड़ताल की. सोशल मीडिया पर कहानी के साथ वायरल की जा रही फोटो के बारे में पता चला कि ये दो अलग अलग तस्वीरों को जोड़ कर बनाई गई है.

फोटो को दो हिस्सों में अलग कर इंटरनेट पर सर्च किया गया तो इस लड़की की फोटो कुछ ऐसी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्रोफाइल पर मिली जिसमें इस लड़की की कहानी का कोई भी जिक्र नहीं किया गया है. हैरानी की बात यह है कि इस सब्ज़ी वाले और उसकी लड़की की हमें सिर्फ यही तस्वीर मिली.

Advertisement

खबर की सच्चाई जानने के लिए जब इंडिया टुडे ग्रुप के तिनसुकिया संवाददाता और कुछ स्थानीय अखबारों से संपर्क किया गया तो उनको ऐसे किसी भी सब्ज़ी वाले के बारे में जानकारी नहीं थी. अगर ऐसा वाकई हुआ होता तो यह खबर तिनसुकिया के स्थानीय अखबारों में जरूर छपती और वहां के लोगों को इस बात की जानकारी भी होती.

कहानी पर शक होने की एक और वजह भी थी. वो ये थी कि इनकम टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिशनर के पद पर नियुक्ति UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) परीक्षा पास करने के बाद होती है. जबकि सोशल मीडिया पर वायरल कहानी के मुताबिक ज्योति असम लोकसेवा आयोग एग्जाम पास करके इनकम टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिशनर के पद पर नियुक्त हुई है. हालांकि असम लोक सेवा आयोग के 2014 के रिजल्ट में हमें ज्योति दास नाम की एक लड़की मिली. लेकिन जब हमने ज्योति से संपर्क किया तो उनका कहना था कि इस कहानी से उनका कोई लेना देना नहीं है और उनके पिता एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर हैं. ज्योति दास इस समय असम के धेमाजी जिले के गोगामुख गांव में सर्किल ऑफिसर के पद पर नियुक्त हैं.

वायरल टेस्ट के तहत हमारी खोजबीन में इसी से मिलती जुलती एक कहानी सामने आई जिसके मुताबिक 2010 में असम के एक सब्जी कारोबारी की बेटी दीपांजलि दास ने सिविल सर्विस परीक्षा पास की थी. जब हमने दीपांजलि से इस बारे में बात की तो उनका कहना था कि-'' वायरल कहानी में जो भी बाते कही गई है उससे मेरा कोई नाता नहीं है. बस इतनी बात समान है की मेरे पिता भी सब्ज़ी का कारोबार किया करते थे और मैंने सिविल सर्विस परीक्षा पास की.''

Advertisement

कुछदिनों पहले ही मध्य प्रदेश के देवास में कचरा बीनने वाले एक शख्स के बेटे आशाराम ने भी एम्स की परीक्षा पास कर सबको हैरान कर दिया था. आशाराम ने एम्स जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में 707वीं रैंक हासिल की थी.

आशाराम जैसी प्रेणादायक कहानियों को इंटरनेट पर ख़ासा पसंद किया जाता है और लोग ऐसी कहानियों को खूब शेयर भी करते है. लगता है किसी ने अपनी वेबसाइट पर क्लिक बढ़ाने या ट्रैफिक लाने के लिए इस सब्ज़ी वाले और उसकी लड़की की मनगढ़ंत कहानी गढ़ दी है.

Advertisement
Advertisement