क्या वयस्कों की पत्रिका प्लेबॉय को इंटरव्यू देने वाले पहले पीएम थे नेहरू? यह सवाल सोशल मीडिया पर छाया रहता है. कई बार तो इसको लेकर नेहरू और कांग्रेस पार्टी की विरासत के बारे में विवादास्पद टिप्पणियां भी की जाती हैं. हाल ही में एक ट्विटर अकाउंट @Churumuri से इस मसले पर फिर से बहस शुरू की गई.
इस अकाउंट के करीब 50 हजार फॉलोवर हैं, जिनमें कई बड़ी हस्तियां शामिल हैं. इसमें किसी Maithun (24°C) के एक ट्वीट (@Being_Humor) का हवाला दिया गया है, जिन्होंने प्लेबॉय पत्रिका के किसी कथित ट्वीट के आधार पर दावा किया है कि नेहरू ने वास्तव में इस पत्रिका को इंटरव्यू दिया था. @Churumuri के अनुसार यह भारत के 'फेक मॉन्सटर्स' की कारगुजारी है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि @playboy का ट्वीट असल में फर्जी है.
इस बहस को देखते हुए हमने यह तय किया प्लेबॉय-नेहरू विवाद पर एक वायरल टेस्ट किया जाए, जिसके बारे में जानता तो हर कोई है, लेकिन लोग समझ नहीं पा रहे कि किस पर भरोसा किया जाए. हमने Maithun (24°C) (@Being_Humor) के ट्वीट पर नजर रखनी शुरू कर दी, जिसमें यह दावा किया गया था कि प्लेबॉय पत्रिका ने खुद नेहरू के इंटरव्यू के बारे में ट्वीट किया है. ट्विटर टाइमलाइन देखने पर हमें यह नजर आता है कि Maithun (24°C) (@Being_Humor) ने इसके बारे में 12 अक्टूबर, 2017 को ट्वीट किया था. अपने ट्वीट में उसने कांग्रेस पर तंज कसते हुए लिखा था #KnowYourLegacy और इस बात पर जोर दिया था कि, 'कांग्रेस ने इस ट्वीट को डिलीट करवा दिया.'
हमने Maithun (24°C) के ट्वीट और उसके आधार पर किए जा रहे दावों की प्रमाणिकता की जांच की कोशिश की. प्लेबॉय पत्रिका का ट्विटर हैंडल @Playboy है और इसके 14.3 लाख फॉलोवर हैं. हमने @Playboy के टाइमलाइन की काफी गहनता से जांच की, लेकिन हमें नेहरू के इंटरव्यू के बारे में कोई ट्वीट नहीं मिला. अब सवाल उठता है कि क्या पहले ऐसा कोई ट्वीट था जिसे बाद में @Playboy ने डिलीट कर दिया, जिसके बारे में Maithun (24°C) दावा कर रहा है, हम इसके बारे में पुख्ता तौर पर कुछ नहीं बता सकते.
@Churumuri का यह कहना सही है कि Maithun (24°C) के ट्वीट में जो फॉन्ट दिख रहा है, वह ट्विटर द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे फॉन्ट से अलग है. यह भी काफी गौर करने वाली बात है कि Maithun (24°C) के ट्वीट में जवाहर लाल नेहरू की स्पेलिंग गलत लिखी गई है. उसमें लिखा है-“Jawsharlal” जबकि दावा यह किया गया है कि यह @Playboy का ट्वीट है जिसे कांग्रेस ने डिलीट करवा दिया.
अब आते हैं बहस वाले सवाल पर- क्या प्लेबॉय ने जवाहरलाल नेहरू का इंटरव्यू किया था? हमें इसके बारे में www.forbes.com में 3 अक्टूबर, 2017 को छपा रौनक डी. देसाई का एक विस्तार से लिखा लेख मिला. इस आर्टिकल में यह बताया गया है कि जवाहरलाल नेहरू का इंटरव्यू वास्तव में 1963 में प्लेबॉय पत्रिका के अक्टूबर अंक में प्रकाशित हुआ था. इसे पत्रिका द्वारा 1962 में शुरू किए गए 'प्लेबॉय इंटरव्यू' सीरीज के तहत प्रकाशित किया गया था.
इस तथ्य की और तह में जाने के लिए हम प्लेबॉय पत्रिका के पिछले अंकों (आर्काइव) तक पहुंचे. अक्टूबर, 1963 संस्करण की पत्रिका के कवर पेज पर खूबसूरत मॉडल एल्सा मार्टिनेल्ली की शरारती मुस्कान वाली तस्वीर दी गई है और कवर पर ही गर्व से यह घोषणा की गई है- 'भारत के नेहरू के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू'.
पत्रिका के इस संस्करण के पेज 51 पर जवाहरलाल नेहरू का एक विस्तृत इंटरव्यू है और यह कई पेज में छपा है. इंटरव्यू की शुरुआत में लिखा गया है, 'प्रधानमंत्री नेहरू ने यह एक्सक्लूसिव इंटरव्यू अपने 10, तीन मूर्ति मार्ग, नई दिल्ली आवास के गुड़हल की सुगंध से भरे परिसर में दिया. अपने चिरपित गांधी टोपी और भूरे फ्रॉक कोट और एक सिगरेट का कश लगाते हुए... वह दिन भर में पांच सिगरेट ही पीते हैं...'
इस आर्टिकल में इंटरव्यू लेने वाले का नाम नहीं है, लेकिन कवर फोटा के साथ शुरुआत में उल्लेख है कि हेनरी स्लेसर द्वारा लिया गया प्लेबॉय इंटरव्यू. हेनरी स्लेसर एक अमेरिकी नाटककार, लेखक और कॉपी राइटर थे, जिनका 2002 में निधन हो गया.
इस इंटरव्यू में नेहरू ने महात्मा गांधी से लेकर रवींद्र नाथ टैगोर, चीनी हमला, गुट निरपेक्ष आंदोलन जैसे तमाम मसलों पर बात की. अब अगर नेहरू के इंटरव्यू का इतना मजबूत दस्तावेजी प्रमाण मौजूद है तो इसको लेकर इतना विवाद क्यों है?
इसमें कहा गया है-'पत्रिका का बाकी हिस्सा जब प्रकाशन के लिए प्रेस में जा चुका था, हमें वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास से यह संदेश आया कि हमने पीएम नेहरू का जो इंटरव्यू लिया है, वह वास्तव में भारत के प्रमुख के साथ एक्सक्लूसिव, व्यक्तिगत बातचीत पर आधारित नहीं था, बल्कि प्रधानमंत्री द्वारा पिछले वर्षों में दिए तमाम भाषणों, बयानों आदि का संकलन ही है.'
इसका मतलब यह है कि भारतीय दूतावास के मुताबिक नेहरू ने कभी भी प्लेबॉय को कोई इंटरव्यू नहीं दिया और कथित रूप से इंटरव्यू लेने वाले ने बस सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नेहरू के बयानों और अन्य जानकारियों को जुटाकर उसे इंटरव्यू की शक्ल दे दी और उसे छपने के लिए प्लेबॉय पत्रिका को भेज दिया.
लेकिन संपादक के इसी नोट में पत्रिका द्वारा दावा किया गया है कि 'नेहरू के बारे में हमें सामग्री एक सम्मानित पत्रकार-प्रकाशक ने भेजी है, जिन्होंने इसके पहले दुनिया भर में ऐसे तमाम प्रसिद्ध हस्तियों का इंटरव्यू लिया है. यह हमें एक वास्तविक इंटरव्यू के रूप में बेचा गया था, टेप पर इसकी रिकॉर्डिंग की गई थी और इसके साथ कवरिंग लेटर भी था,
जिसमें यह बताया गया था कि सामग्री में प्रधानमंत्री और उनके साथ पत्रकार की फोटो भी शामिल है.' इसलिए इस इंटरव्यू की वैधता पर संदेह करने की कोई वजह नहीं थी और हमने इसे अच्छे विश्वास के साथ एक पर्सनल इंटरव्यू के रूप में प्रकाशित किया.'
हालांकि, इस पर विवाद होने के बाद भी प्लेबॉय ने कभी इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार की नेहरू के साथ कथित फोटो को प्रकाशित नहीं किया, इसलिए इसके बारे में संदेह बना रहा.
forbes.com के लेख के मुताबिक, 'नेहरू के तथाकथित प्लेबॉय इंटरव्यू को भारत में भी जबर्दस्त चर्चा मिली. देश के नैतिकवादी लोगों की वजह से पत्रिका पहले से ही भारत में प्रतिबंधित थी. लेकिन प्लेबॉय का अक्टूबर अंक सबसे ज्यादा मांग वाली देश की वर्जित वस्तुओं में शामिल हो गया. कवर पर नेहरू के नाम की वजह से इस पत्रिका की प्रतियां बड़ी संख्या में देश में तस्करी के माध्यम से आने लगीं, वह भी असल कीमत से 30 गुना तक के दाम पर. जैसा कि एक अखबार के संपादक का कहना है, 'अक्टूबर का अंक तो शिवाज रीगल की एक बोतल से भी ज्यादा महंगा मिल रहा था.'
वर्षों से जारी इस विवाद की वजह से प्लेबॉय पत्रिका का अक्टूबर 1963 के इस अंक की आज भी काफी मांग है. लेकिन इस सवाल का अभी भी कुछ पुख्ता जवाब नहीं दिया जा सकता- क्या नेहरू ने वास्तव में प्लेबॉय को इंटरव्यू दिया था.