मोदी सरकार के फिर से सत्ता में आने के बाद एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा चर्चा में है. अब विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम मंदिर मुद्दे पर प्रस्ताव सौंपेगी. वीएचपी ने हरिद्वार में अपनी केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया है कि राम मंदिर सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर होना चाहिए क्योंकि इसमें पहले ही बहुत देरी हो चुकी है.
वीएचपी ने मुख्य न्यायाधीश से भी अपील की है कि राम मंदिर मामले में जल्द से जल्द फैसला सुनाया जाए. प्रस्ताव में कहा गया कि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है जो 2011 से अदालत में है, लेकिन ऐसा लगता है कि यह अदालत के शीर्ष एजेंडे में नहीं है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले शुक्रवार को अयोध्या में भगवान राम की सात फुट की प्रतिमा का अनावरण किया था. अब एक सप्ताह से भी कम समय में वीएचपी ने यह कदम उठाया है. वीएचपी द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि 1989 में हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुई बैठक में भाजपा ने राम मंदिर निर्माण के आह्वान का समर्थन किया था.
इसमें ये भी बताया गया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसके लिए सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा भी निकाली थी. इसके बाद, अटल बिहारी वाजपेयी ने कारसेवा के दौरान गिरफ्तारी भी दी थी. वीएचपी ने बताया कि भाजपा के 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में भी यह वादा किया गया है, और इस पर काम करने का समय आ गया है.
वीएचपी के प्रवक्ता ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने का संकल्प लिया गया है. मार्गदर्शक मंडल को भरोसा है कि नव-निर्वाचित केंद्र सरकार इन सभी दिशाओं में तत्काल कदम उठाएगी.