गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर काफी दिनों से बीमार हैं और उनका इलाज जारी है. लेकिन वे कौन सी बीमारी से ग्रस्त हैं, यह किसी को नहीं पता है क्योंकि इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया जा रहा था. गोवा सरकार की तरफ से सिर्फ इतने ही स्टेटमेंट आ रहे थे कि पर्रिकर की हालत अब सुधर रही है और वे जल्द-से-जल्द अपने ऑफिस में आना शुरू कर देंगे.
शनिवार को पहली बार गोवा के मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा कि मनोहर पर्रिकर को पैंक्रिएटिक कैंसर हैं. ये बात छुपी हुई नहीं है. उन्हें उनके परिवार के साथ शांतिपूर्वक रहने दिया जाना चाहिए. उन्हें इसका पूरा हक है. गोवा के लोगों की सेवा करने के बाद, अगर वे अपने परिवार के साथ कुछ वक्त बिताना चाहते हैं तो किसी को उनसे पूछने का सरोकार नहीं है.
पर्रिकर की सेहत को लेकर सरकार की तरफ से कोई भी बयान जारी नहीं नहीं किया गया था. सरकार की तरफ से केवल इतना कहा गया कि पर्रिकर बीमार हैं और उसके इलाज के लिए उन्होंने पहले मुंबई के लीलावती अस्पताल और उसके बाद अमेरिका में इलाज कराया. इसके बाद वे दिल्ली के एम्स में ट्रीटमेंट ले रहे हैं.
बता दें कि मनोहर पर्रिकर लंबे वक्त से बीमार चल रहे हैं, जिस वजह से है गोवा का प्रशासनिक कामकाज काफी हद तक ठप पड़ा हुआ है. गोवा कांग्रेस ने कई बार निशाना साधते हुए पूछा कि पर्रिकर की सेहत को लेकर तो सरकार की तरफ से कोई मेडिकल बुलेटिन क्यों नहीं निकाला गया?
गोवा कांग्रेस ने ये आरोप भी लगाया था कि पर्रिकर किसी भी प्रकार के कैबिनेट फैसले नहीं ले रहे हैं तो फाइलें कैसे क्लियर हो रही है. गोवा कांग्रेस के कई नेताओं ने सीएम से मिलने की भी कोशिश की थी. बताया जाता है कि सीएम से मिलकर वे उनकी सेहत के बारे में पूछना चाहते थे.
गौरतलब है कि दिल्ली के एम्स अस्पताल से डिस्चार्ज मिलने के बाद मनोहर पर्रिकर हाल ही में गोवा लौटे हैं. वे गोवा के दोना-पोला स्थित निवास स्थान पर गोवा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर की निगरानी में ट्रीटमेंट ले रहे हैं.
इस बीच सीएमओ से यही स्टेटमेंट फिर जारी किया गया कि पर्रिकर रिकवर हो रहे हैं और जल्द ही अपने ऑफिस लौटेंगे. 30 अक्टूबर को पर्रिकर ने अपने ही घर पर गोवा सरकार की कैबिनेट मीटिंग बुलाई है.
पर्रिकर पर यहां सवाल इसलिए भी उठाया जा रहा है कि अगर पर्रिकर अपने दो कैबिनेट मंत्रियों की बीमारी के चलते उनका मंत्री पद छीन सकते हैं तो खुद की बीमारी के चलते महीनों से अपने दफ्तर तक नहीं जाने के बावजूद वे अपना इस्तीफा क्यों नहीं दे रहे?
फिलहाल राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी कौन संभालेगा इसे लेकर भाजपा में ही भ्रम के हालात हैं. बताया जाता है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ऐसे नेतृत्व की तलाश में है जो पर्रिकर की तरह काम भी करें और दोनों घटक पक्ष यानी गोवा फॉरवर्ड और महाराष्ट्रवादी गोमांतक को लेकर साथ चले.
हालांकि भाजपा के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. एक तरफ महाराष्ट्रवादी गोमांतक पक्ष के नेता सुदीन धावलीकर कहीं-न-कहीं चाहते हैं कि वे ही मुख्यमंत्री बनें, वहीं दूसरी तरफ गोवा फॉरवर्ड पार्टी की तरफ से सीधे तौर पर कहा गया है कि उन्होंने पर्रिकर को सपोर्ट किया था, न कि भाजपा को.
अब यह भाजपा नेताओं की जिम्मेदारी है कि अगर पर्रिकर बीमार चल रहे हैं तो गोवा में सुशासन बना रहे और यह सरकार अपने 5 साल पूरा करें.
यह जानना दिलचस्प होगा कि 30 अक्टूबर को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में पर्रिकर अपने कैबिनेट साथियों से क्या कहते हैं? सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में सीएम अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं.
फिलहाल उनके पास गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्री पद हैं, जिसका पदभार वे गोवा फॉरवर्ड या फिर सुदीन धावलीकर को दे सकते हैं.