जनता दल (सेकुलर) के अध्यक्ष एएच विश्वनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. विश्वनाथ ने हालिया लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा दिया है.
इस्तीफे के बाद विश्वनाथ ने कहा, 'पार्टी की कॉर्डिनेशन कमेटी सिर्फ नाम के लिए है जिसका कोई परिणाम निकल कर सामने नहीं आता. मुझे इसमें शामिल नहीं किया गया था. सरकार के कार्यों की आलोचना करते हुए विश्वनाथ ने कहा कि 'दो-तीन विभागों को छोड़ दें तो ज्यादातर विभाग अच्छा काम नहीं कर रहे हैं. मैं इससे काफी निराश हूं.' विश्वनाथ ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच तय कॉमन मिनिमम प्रोग्राम भी लागू नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि अध्यक्ष रहते हुए मुझे कॉर्डिनेशन कमेटी में शामिल नहीं किया गया और गुंडू राव भी इसमें नहीं थे.
H. Vishwanath announces his resignation from the post of Janata Dal (Secular), JDS Karnataka president. (File pic) pic.twitter.com/CniCO5fSDk
— ANI (@ANI) June 4, 2019
इससे पहले ए.एच. विश्वनाथ ने कहा था कि गठबंधन सरकार को न तो उनकी पार्टी के नेताओं की तरफ से और न ही लोकसभा चुनाव के नतीजों से कोई खतरा होने वाला है. विश्वनाथ ने मैसूर में कहा, "कुमारस्वामी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार अपने पूरे कार्यकाल में लोगों के लिए काम करना जारी रखेगी."
दोनों गठबंधन सहयोगियों के बीच मतभेद तब उभरे जब कांग्रेस के दो मंत्रियों और दस विधायकों ने कहा कि वे सिद्धारमैया को अपना नेता मानते हैं और उन्हें कुमारस्वामी की जगह पर फिर से मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं. इस पर पलटवार करते हुए विश्वनाथ ने कहा था कि सिद्धारमैया अपने वफादारों पर लगाम लगाने पर नाकाम रहे हैं. उन्होंने कहा कि शीर्ष पद खाली नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धारमैया के नेतृत्व में ही कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में हार हुई थी. विवाद में शामिल होते हुए कुमारस्वामी ने भी कहा था कि कांग्रेस के वरिष्ठ दलित नेता मलिकार्जुन खड़गे को बहुत पहले मुख्यमंत्री बन जाना चाहिए था लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ, इसकी वजह तो राज्य के कांग्रेस नेता ही जानते होंगे.